यहां बनता है लाल किले की प्राचीर से फहराने वाला तिरंगा, दिलचस्प है इसका इतिहास
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independence day 2023: स्वतंत्रता दिवस के लिए देश की सर्वश्रेष्ठ तिरंगा बनाने वाली ग्वालियर की मध्य भारत खादी संघ संस्था के पास इस समय तिरंगे की मांग 5 गुना बढ़ गई है. मध्य भारत खादी संघ 14 अगस्त तक 1 करोड़ 7 लाख रुपये के झंडे सप्लाई कर चुका है. संस्था ने देश के 27 राज्यों में 16000 से ज्यादा झंडे सप्लाई किए. स्वतंत्रता दिवस पर फहराए जाने के लिए राष्ट्रध्वज तिरंगा की डिमांड इतनी ज्यादा है कि उसकी तुलना में संघ एक चौथाई सप्लाई नहीं दे पा रहा है.
मध्य भारत खादी संस्था में तिरंगा झंडा तैयार करने में 6 दिन का समय लगता है. यहां 180 से लेकर 9000 रुपये तक कीमत के झंडे बनाए जाते हैं. ग्वालियर में मध्य भारत खादी संघ की स्थापना 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी. 1956 में मध्य भारत खादी संघ को आयोग का दर्जा मिला था. संघ के स्टॉल से तिरंगा GST पर जीएसटी नहीं लगता है. परंतु यहां से ख़रीदकर कोई अन्य दुकानदार तिरंगा बिक्री करता है तो ग्राहक को GST देना होगा.
1 करोड़ से ज्यादा झंडो की सप्लाई पूरी
मध्यभारत खादी संघ के मंत्री रमाकांत शर्मा ने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों एवं केंद्रीय संस्थानों से अभी 5 करोड़ से अधिक मूल्य के तिरंगों की डिमांड है, जबकि हम अभी तक 1 करोड़ 1 लाख 47 हज़ार रुपए के 12 हज़ार 300 राष्ट्रध्वज की सप्लाई दे सके हैं. अभी भी 15 से 20 लाख के तिरंगे और भेजे जाने हैं.
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हुबली के झंडो की अपेक्षा ग्वालियर में कम कीमत
मध्यप्रदेश में निर्मित राष्ट्रध्वज की इतनी अधिक डिमांड के पीछे का प्रमुख है यहां बनाए जाने वाले झंडे की कीमत अन्य संस्थाओं से काफी कम है. यहां 4× 6 फ़ीट के जिस ध्वज का मूल्य यहां 2200 रूपए है वही हुबली में 2535 रुपए का है. सके अलावा तिरंगा निर्माण करने वाली एक अन्य मुंबई की संस्था का रजिस्ट्रेशन खादी ग्रामोद्योग आयोग में रिन्यूवल नहीं होने से उनके आर्डर भी यहां आ रहे हैं.
भारतीय मानक ब्यूरो के अनूरूप बनाते हैं इसलिए लगता है समय
सन् 2016 से भारतीय मानक ब्यूरो भारत सरकार से अनुमति मिलने के बाद से संस्था ISI मार्का के राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण कर रही है. जो कि उत्तर भारत की एकमात्र ISI प्रमाणित संस्था है, जहां राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण होता है. यहां निर्मित तिरंगा हाथ से बुने शुद्ध खादी के कपड़े का ‘ भारतीय राष्ट्रीय ध्वज ‘ है. इस कपडे के आरपार रोशनी नहीं जाती है. इसे 40 काउंट पर तैयार किया जाता है. कपड़े की क्वालिटी एवं रंग को लैब में टेस्ट करने के बाद ध्वज तैयार किया जाता है. इस कपडे को तैयार करने वाले धागे को बनाने में समय लगता है.
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पिछले साल के मुकाबले इस डिमांड दोगुनी
पिछले साल देश में 75 वां आजादी का वर्ष मनाया गया था. हर घर तिरंगा अभियान को लेकर तिरंगे की डिमांड ज्यादा थी. परंतु केंद्र द्वारा देरी से घोषणा करने के कारण समय कम मिला फिर भी तब देश के 11 राज्यों को 47 लाख से अधिक कीमत के 10 हजार 315 से अधिक तिरंगे भेजे गए थे. जो आईएसआई मानकों के आधार पर बने थे. बात 2021 की करें तो उस वर्ष करीब 30 लाख कीमत के तिरंगे गए थे. इस बार मांग दोगुनी है.
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इन राज्यों को भेज रहे तिरंगे झंडे
इस बार मध्यप्रदेश सहित जम्मू एन्ड काश्मीर, अंडमान निकोबार, गोआ,दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ ल, बिहार और उत्तरप्रदेश से तिरंगे भेजे गए हैं. खादी संघ में 8 साइज के तिरंगे तैयार किए जाते हैं. 3 गुणा 2 फीट , 4.5 गुणा 3 . फीट . 6 गुणा 4 फीट , 9 गुणा 6 फीट , 12 गुणा 8 फीट , 27 गुणा 18 फीट 1.5 गुणा 1 फीट और कार के फ्लैग शामिल हैं.
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