धार भोजशाला की सर्वे रिपोर्ट पेश करने के लिए ASI को मिला वक्त, इंदौर हाईकोर्ट ने दिया ये निर्देश

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धार भोजशाला का सर्वे कर रही टीम को मिला समय
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MP News: धार भोजशाला मामले में गुरुवार को इंदौर हाईकोर्ट में सुनवाई की गई. इस सुनवाई में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की ओर से कोर्ट में रिपोर्ट समिट करने के लिए समय मांगा गया है. आपको बता दें इंदौर हाईकोर्ट के आदेश के बाद धार भोजशाला का सर्वे शुरू किया गया था. कोर्ट के आदेश के बाद 98 दिन तक चले सर्वे को कोर्ट की तरफ से दो सप्ताह का और समय मिल गया है. 

जानकारी के मुताबिक ASI ने कोर्ट में आवेदन के माध्यम से 4 हफ्तों की मोहलत मांगी थी. जिस पर कोर्ट ने टीम को 2 सप्ताह का समय दिया गया है. 22 मार्च से 27 जून तक ASI ने 98 दिनों तक भोजशाला में सर्वे किया किया है. कोर्ट ने 15 जुलाई तक पेश करने के आदेश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को नियत की है. 

 

 

किस बात के लिए कोर्ट से मांग गया था समय?

भोजशाला में भारतीय पुरातन सर्वेक्षण एएसआई द्वारा 22 मार्च से शुरू किया गया सर्वेक्षण 27 जून को 98 दिन बाद समाप्त हो चुका है. सर्वेक्षण के बाद एएसआई को 2 जुलाई को हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में रिपोर्ट पेश करना थी. जिस पर 4 जुलाई को सुनवाई होना थी. लेकिन सर्वे पूरा होने के बाद जीपीएस और जीपीआर रिपोर्ट बनाने के लिए एएसआई ने 2 जुलाई को आवेदन लगाकर रिपोर्ट पेश करने के लिए 4 सप्ताह का समय और मांगा था. पहले से नियत गुरुवार 4 जुलाई की सुनवाई में हाईकोर्ट की डबल बेंच ने एएसआई को रिपोर्ट पेश करने के लिए 2 सप्ताह का समय देते हुए सर्वेक्षण रिपोर्ट 15 जुलाई तक पेश करने के आदेश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को नियत की है. 

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क्या है जैन समजा का दावा?

हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच भोजशाला पर अधिकार को लेकर चल रहे विवाद में जैन समाज भी कूद पड़ा है. सर्वेक्षण के दौरान हुई खुदाई में जैन समाज के तीर्थंकर नेमीनाथ की 2 मूर्तियां और कुछ चिन्ह मिलने के बाद विश्व जैन संगठन के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सलेक चंद जैन की ओर से भोजशाला पर अपना दावा पेश करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. लेकिन, इस याचिका के विरोध में धार का ही जैन समाज अपने संगठन के विरुद्ध खड़ा हो गया है. पिछले मंगलवार को समग्र जैन समाज ने एकत्रित होकर भोजशाला को हिंदू समाज का बताया है.

आखिर क्या भोजवाला है विवाद? 

हिंदू संगठन भोजशाला को राजा भोज कालीन इमारत बताते हुए इसे सरस्वती का मंदिर मानते हैं. हिंदुओं का तर्क है कि भोज परमार कालीन में यहां कुछ समय के लिए मुस्लिमों को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई थी. दूसरी ओर, मुस्लिम समाज का कहना है कि वो सालों से यहां नमाज पढ़ते आ रहे हैं. मुस्लिम इसे भोजशाला-कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं. यही कारण है कि आज इसके सर्वे को लेकर कोर्ट ने आदेश जारी किया है.

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