आदिवासी परिवार का ऐसा दर्द, नवजात बच्चे का शव अस्पताल की मर्चुरी में छोड़ना पड़ा, जानें ऐसे क्यों बने हालात

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Such pain of the tribal family, the dead body of the newborn child had to be left in the hospital, know why the situation became like this
Such pain of the tribal family, the dead body of the newborn child had to be left in the hospital, know why the situation became like this
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Sehore News: मध्यप्रदेश में तमाम पार्टियां अपने आप को आदिवासी हितैषी बताती हैं, लेकिन इसके इतर जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है. CM शिवराज सिंह चौहान आदिवासियों के लिए विकास के दावें करते हो, मगर उनके गृह जिले में ही एक गरीब आदिवासी दंपति की लाचारी देखने को मिली है. जहां नवजात बेटे की मौत के बाद शव लाने के लिए माता पिता के पास पैसे नही थे, तो शव को भोपाल मर्चुरी में ही छोड़ दिया.शव चार दिन तक मर्चुरी में ही रखा रहा.

कर्मचारियों ने शव की सूचना सामाजिक संस्था को दी तो संस्था के लोगों ने परिवार से संपर्क किया. तो मजबूर माता पिता ने बताया कि उनके पास इतने पैसे भी नही थे, कि शव को ले जा सके. मामले की जानकारी बुधनी थाना टीआई को लगी तो उन्होंने भोपाल जाने आदिवासी परिवार को वाहन की व्यवस्था कराई और अंतिम संस्कार में भी शामिल हुए. जहां रीति रिवाज के साथ सामाजिक संस्था ने अंतिम संस्कार कराया.  

लाचार परिवार के पास नहीं थे पैसे
cm शिवराज के सीहोर जिले के बुदनी क्षेत्र के देवगांव निवासी आदिवासी दंपती लालू और निर्मला बाई मजदूरी करते हैं. निर्मला ने 16 जुलाई को बेटे को जन्म दिया. बच्चा जन्म के समय से ही बीमार रह रहा था. उसे बुदनी के शासकीय अस्पताल से भोपाल रेफर किया गया, लेकिन परिवार के पास भोपाल ले जाने तक के पैसे नहीं थे. जैसे तैसे पैसों का इंजेजाम कर भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया, 22 जुलाई की शाम को बेटे की मौत हो गई. दंपती के पास शव को गांव तक ले जाने के रुपये भी नहीं थे. आखिर में मासूम के शव को मर्चुरी में रखकर उन्हें गांव जाना पड़ा.

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समाजिक संस्था ने कराया अंतिम संस्कार,की आर्थिक मदद
मामले को लेकर सामाजिक संस्था के मनोज सोनी ने आजतक को फोन पर बताया कि कर्मचारियों से सूचना मिली जब पता किया और फोन लगाया तो उन्होंने कहा कि हमारे पास पैसे नहीं है,बर्तन सामान बेचकर तो उपचार किया, आप ही खुद अंतिम संस्कार कर दो, फिर हमने बुधनी टीआई विकास खींची से बात की उन्होंने टीम भेजकर उनको समझाया और अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए वाहन की व्यवस्था कराई फिर वो लोग और नवजात का अंतिम संस्कार किया और हमारी संस्थान के लोगों ने परिवार के आर्थिक मदद की,

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