Madhviraje Scandia: 'राजमाता' को श्रद्धांजलि देते हुए बेहद भावुक हो गईं इमरती देवी, नहीं रोक पाईं आंसू

एमपी तक

19 May 2024 (अपडेटेड: May 19 2024 9:20 AM)

Madhvi raje Scindia Last Rites: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां और सिंधिया घराने की राजमाता माधवीराजे सिंधिया को श्रद्धांजलि देने पहुंची पूर्व मंत्री इमरती देवी भी जब जयविलास पहुंची तो भावुक हो गईं और अपने आंसू नहीं रोक पाईं. 

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Madhvi raje Scindia Last Rites: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां और सिंधिया घराने की राजामाता माधवीराजे सिंधिया के निधन को आज 5 दिन गुजर चुके हैं, लेकिन जयविलास पैलेस में उन्हें श्रद्धांजली देने वालों का तांता लगा हुआ है. सिंधिया और उनके परिवार के करीबी बार-बार भावुक नजर आ रहे हैं. राजमाता माधवीराजे सिंधिया को श्रद्धांजलि देने पहुंची पूर्व मंत्री इमरती देवी भी जब जयविलास पहुंची तो भावुक हो गईं और अपने आंसू नहीं रोक पाईं. 

सिंधिया की कट्टर समर्थक पूर्व मंत्री इमरती देवी ने नम आंखों से राजमाता को श्रद्धासुमन अर्पित किए. वे शोकसभा में बैठने के दौरान भी वे आंसू पोछती हुई नजर आईं. इस दौरान उन्होंने मीडिया से भी बातचीत की. देखें वीडियो...

सिंधिया को ढांढस बंधवाने पहुंचे करीबी

राजमाता के निधन के बाद से ही सिंधिया परिवार के करीबी ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात करने पहुंच रहे हैं और उन्हें ढांढस बंधवाते हुए नजर आ रहे हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया बेहद इमोशनल नजर आ रहे हैं. मां को खोने का दुख उनकी आंखों में साफ नजर आ रहा है. शनिवार को डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा, कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार, पूर्व मंत्री इमरती देवी और क्षेत्र की जनता समेत सैकड़ों की तादाद में लोग माधवीराजे सिंधिया को श्रद्धांजलि देने पहुंचे. 

राजसी परंपरा के तहत होगा अस्थि विसर्जन

गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां और सिंधिया घराने की राजामाता माधवीराजे सिंधिया का बुधवार को निधन हो गया था. उनका हिंदू रीति-रिवाजों के साथ अंतिम संस्कार किया गया. राजमाता के मरणोपरांत 13 दिनों तक रस्में निभाई जाएंगी. अंतिम संस्कार के अगले दिन, छतरी मैदान में सिंधिया ने विधि विधान से पूजन करने के बाद अपनी माता की अस्थियां एकत्रित की. तीन कलशों में इन अस्थियों को  रखा गया है. यह सभी कलश राजसी परंपरा के तहत 9 दिनों तक पेड़ पर बांधे जाएंगे. दसवें दिन इन कलशों को उज्जैन, इलाहाबाद और महाराष्ट्र के कांडेढ़ गांव रवाना किया जाएगा. जहां राजसी परम्परा के तहत अस्थि विसर्जन किया जाएगा.

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