Khargone News: मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में शिव भक्तों के लिए जनसहयोग से लाल पत्थरों से प्रदेश का पहला पुल बनाया जा रहा है. ये महर्षि मार्कंडेय की तपोस्थली नन्हेंश्वर में पारद शिवलिंग आकर्षण का केंद्र है. कुंदा नदी पर जमीन से लगभग 12 फिट ऊंचे, ढाई सौ फीट लंबे और 10 फिट चौड़े पुल का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है. इस पुल के निर्माण के लिए राजस्थान से लाल पत्थर मंगवाए गए हैं. इसके साथ ही मुरैना के करीगर इस पुल का निर्माण कर रहे हैं. इस शिवलिंग के दर्शन साल में केवल एक बार 7 जनवरी को होते हैं.
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जानकारी के मुताबिक खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर आदिवासी अंचल के भगवानपुरा में स्थित महर्षि मार्कण्डेय की तपोभूमि है. प्राचीन नन्हेंश्वर महादेव मंदिर में कुंदा नदी पर राजस्थान के लाल पत्थरों से एक अद्भुत पुल का निर्माण किया जा रहा है. इस पुल का निर्माण जनसहयोग से किया जा रहा है.
देश का पहला ऐसा पुल जो जनसहयोग से बन रहा
करीब सवा करोड़ की लागत से बनने वाले इस पुल की खासियत ये है, कि इसमें सरकार की मदद लिए बिना मंदिर के व्यवस्थापक हरिओम बाबा द्वारा आसपास के ग्रामीणों के जन सहयोग से इस पुल का निर्माण कराया जा रहा है. जो देश सहित प्रदेश में एकमात्र ऐसा पुल है जो लाल पत्थरों से बनाया जा रहा है. पुल केवल पैदल यात्रियों के लिए रहेगा. नन्हेंश्वर महादेव मंदिर की खासियत ये है कि यहां प्राचीन बावड़ी में पारद शिवलिंग स्थापित हैं, जो वर्ष में एक बार केवल हटकेश्वर जयंती पर ही खोला जाता है. वर्ष भर यह पारद शिवलिंग जल में ही डूबे रहते है. इसी के चलते यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु कांच से भगवान भोलेनाथ के दर्शन और पूजन कर अपनी मनोकामना मांगते है.
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निर्माण में पुल की मजबूती पर दिया जा रहा खास ध्यान
खरगोन जिले के भगवानपुरा में स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थल नन्हेंश्वर धाम में कुन्दा नदी पर बन रहा प्रदेश का एकमात्र अनोखा और ऐतिहासिक पुल है. करीब ढाई सौ फीट लम्बे और 10 फीट चौड़े तथा जमीन से करीब 12 फीट ऊंचे पुल निर्माण का कार्य अंतिम चरणों में है. पूल पूरी तरह लाल पत्थरों से निर्मित हो रहा है जो राजस्थान के जोधपुर से लाये गए हैं. इसमें मजबूती के लिए पीतल की मोटी राड़ का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसमे लगभग 6 से 7 क्विंटल पीतल की रॉड का उपयोग हो रहा रहा है.
मुरैना से बुलाए गए खास कारीगर
मप्र के मुरैना के कारीगर पत्थरों को तराशकर पुल को तैयार कर रहे है. कुल 14 पिलरो वाले इस पुल पर अभी तक कुंदा नदी पर 8 पिलर खड़े किए जा चुके है जबकि 6 पिलर और खड़े किए जा रहे है. जो आगामी शिवरात्रि पर पूरी तरह से बन जाने की संभावना जताई जा रही है. जिससे यहां बारिश के साथ साथ वर्ष भर देश प्रदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मंदिर तक पहुंचने में सुगम हो सकेगा.
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