ग्वालियर के कारसेवकों ने बनाया था रामलला का चबूतरा, जानिए विवादित ढांचा गिरने के बाद की कहानी

सर्वेश पुरोहित

04 Jan 2024 (अपडेटेड: Jan 4 2024 5:38 AM)

Ram Mandir News: अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. इसे लेकर पूरे देश और मध्य प्रदेश में काफी उत्साह है. सीएम मोहन यादव खुद कालोनियों में जाकर अक्षत हल्दी देकर भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा का आमंत्रण दे रहे हैं.

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Ram Mandir News: अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. इसे लेकर पूरे देश और मध्य प्रदेश में काफी उत्साह है. सीएम मोहन यादव खुद कालोनियों में जाकर अक्षत हल्दी देकर भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा का आमंत्रण दे रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि  छह दिसंबर 1992 में विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद रामलला जिस चबूतरे पर सालों तक विराजमान रहे, उसे बनाने का श्रेय ग्वालियर के कारसेवकों को है.

जी हां, 1992 में विवादित ढांचे को गिराने के बाद रामलला को विराजमान करने के लिए जो चबूतरा बनाया गया उसका निर्माण करने वाले कारसेवक ग्वालियर के थे. इस चबूतरे को बनाने के लिए जो मिला, उसी से बना दिया गया, इसमें सीमेंट के मसाले की जगह मिट्टी के गारे से चबूतरा बनाया था.

अयोध्या में 22 जनवरी 2023 को भव्य भगवान श्री राम का मंदिर बनने जा रहा है, लेकिन 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचे के बाद जिस चबूतरे पर रामलला विराजमान थे उस चबूतरे के निर्माण में ग्वालियर के कार्यसेवकों ने भरपूर सहयोग किया था. इसे बनाने में किसी ने कारीगरी की तो कोई इसके लिए बेलदार बन गया. साफी-तोलिये में मिट्टी का मसाला यानी जिसे गारा भरकर ले जाते थे और हाथ से कारीगरी की. तब जाकर वह चबूतरा तैयार हुआ.

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कारसेवकों ने दिखाई हिम्मत

केशव रामलाल चबूतरा बनाने वाले कारीगर ने बताया कि रात को हमने डर के माहौल में हिम्मत से काम लिया. हमने चबूतरा बनाने का निर्णय तब लिया, जब हर तरफ हिंसा हो रही थी और भय का वातावरण बना हुआ था. राष्ट्रपति शासन लगने वाला था और पूरी तरह से डर के माहौल में कारसेवक चबूतरे का निर्माण करने के बाद जैसे-तैसे ग्वालियर पहुंचे और फिर उनका स्वागत फूल मालाओं से किया गया.

फोटो- एमपी तक

कारसेवक 28 नवंबर को रवाना हुए थे

कारसेवक केशव रामलाल, राजेंद्र कुशवाहा और विनोद अष्टिया ग्वालियर से 28 नवंबर को रवाना हुए थे. 5 तारीख को अटल जी के भाषण के बाद 6 तारीख को बाबरी ढांचा गिराया गया, इसके बाद इन कारसेवकों ने रात को चबूतरे का निर्माण किया. 8 तारीख को ग्वालियर के लिए रवाना हुए और 9 तारीख को ग्वालियर पहुंचे.

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