कैसे ढहाया गया था बाबरी ढांचा, हर एक क्षण की फोटो खींचने वाले MP के इन कैमरामैन से जानें

सर्वेश पुरोहित

12 Jan 2024 (अपडेटेड: Jan 12 2024 12:02 PM)

मध्यप्रदेश के ग्वालियर के केदार जैन वो फोटोग्राफर हैं जो 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में मौजूद थे, जिन्होंने बाबरी ढांचे को गिराने के हर एक क्षण को अपने कैमरे में कैद किया था. एमपी तक ने उनसे एक्सक्लूजिव बातचीत की.

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Photographer Kedar Jain: मध्यप्रदेश के ग्वालियर के केदार जैन वो फोटोग्राफर हैं जो 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में मौजूद थे, जिन्होंने बाबरी ढांचे को गिराने के हर एक क्षण को अपने कैमरे में कैद किया था. एमपी तक ने उनसे एक्सक्लूजिव बातचीत की. इस बातचीत में उन्होंने बताया कि कैसे बाबरी ढांचे को ढहाया गया. कैसे देश भर से पहुंचे कार सेवकों ने कार सेवा की और आखिर कैसे कार सेवकों पर गोली चली जिसके बाद पूरे देश में यह आंदोलन उग्र हो गया था. प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के संपादित अंश.

केदार जैन बताते हैं कि जब वे इस आंदालन को फोटोग्राफर के रूप में कवर करने गए थे, तब वे मात्र 20 साल के थे. वे आंदोलन को चलाने वाली विचारधारा वाले समाचार पत्र से थे और इस वजह से उनको आंदोलन चला रहे सभी प्रमुख नेता जैसे उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंघल सभी नेताओं को नजदीक से कवर करने का मौका मिला. इसी दौरान उन्होंने उमा भारती के मुरली मनोहर जोशी की पीठ पर चढ़कर बाबरी ढांचे को ढहाने की फोटो भी खींची थी, जिसे लेकर संसद में उस समय काफी हंगामा हुआ था.

केदार जैन ने बताया कि वे ग्वालियर-चंबल के कारसेवकों के साथ झांसी होते हुए अयोध्या गए थे. लेकिन उनको झांसी में रोक लिया गया था लेकिन स्थानीय लोगों की मदद से वे आगे बढ़ते गए. केदार जैन बताते हैं कि सभी को पता था कि 6 दिसंबर को ढांचा तोड़ा जाएगा लेकिन 5 दिसंबर को आंदोलन को लीड कर रहे विहिप के अशोक सिंघल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कारसेवक ढांचे को तोड़ना चाहते हैं.

लेकिन जरूरी नहीं कि ढांचे को तोड़कर ही कार सेवा की जाए. अभी इसका वक्त नहीं आया है. सभी कार सेवक गंगाजल को अंजुली में लेकर ढांचे के सामने बने गड्‌डे में डालकर कार सेवा करेंगे लेकिन इससे कारसेवकों में निराशा हाथ लगी. लेकिन हुआ वहीं जो होना था.

गोली चलने पर मची थी भगदड़, गुंबद पर चढ़ने वाले पहले कारसेवक की ली फोटो

केदार जैन ने बताया कि हम लोग अन्य पत्रकारों के साथ कनक भवन पर खड़े थे. हमने ढांचे के गुंबद पर चढ़ने वाले पहले व्यक्ति की फोटो ली. फिर दूसरे व्यक्ति की फोटो ली. आंदोलन के दौरान कारसेवकों पर गोली चली और चारों तरफ भगदड़ मच गई थी. मैं जैसे-तैसे राम नाम की धोती ओढ़कर आंदोलन को कवर करके वापस ग्वालियर लौटा. यहां आकर मालूम चला कि यह आंदोलन पूरे देश में फैल चुका है और उग्र रुप ले चुका है. केदार जैन ने कहा कि मुझे खुशी है कि जिस घटना का मैं गवाह रहा, आज श्रीराम का मंदिर वहां बनने जा रहा है.

सीबीआई ने केदार जैन के फोटों के आधार पर बनाया गवाह

केदार जैन बताते हैं कि सीबीआई ने उनके द्वारा खींचे गए फोटो के आधार पर उनको इस मामले में सरकारी गवाह बना दिया था. फिर लगातार हर पेशी पर जाते थे. आंदोलन से जुड़े अन्य नेताओं के साथ अदालतों में खड़े होते थे. लेकिन आज जब देख रहे हैं कि श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है तो अपने काम को लेकर एक सुकून मिलता है.

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