दिन में लगा रहता है भक्तों का तांता लेकिन रात में कोई नहीं रखता है कदम, जानें इस अद्भुत मंदिर का रहस्य

प्रमोद कारपेंटर

• 01:48 PM • 01 Jul 2023

MP News: सावन का महीना शुरू होने में है. ऐसे में शिव मंदिरों पर भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया है. आगर मालवा जिले में एक अनोखा मंदिर है. इस मंदिर की खासियत ये है कि दिनभर तो यहां भक्तों का तांताा लगा रहता है, लेकिन यहां कोई रात नहीं रुकता है. आइए जानते […]

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MP News: सावन का महीना शुरू होने में है. ऐसे में शिव मंदिरों पर भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया है. आगर मालवा जिले में एक अनोखा मंदिर है. इस मंदिर की खासियत ये है कि दिनभर तो यहां भक्तों का तांताा लगा रहता है, लेकिन यहां कोई रात नहीं रुकता है. आइए जानते हैं कि इसके पीछे क्या रहस्य है.

आगर मालवा से एक किलोमीटर दूर टेकरी पर स्थित शिव मंदिर, जिसे शंकर टेकरी के नाम से जाना जाता है. नगर और आसपास से यहां भक्तों का आना- जाना लगा रहता है. लेकिन रात रुकने से हर कोई घबराता है. इसके पीछे प्राचीन किवदंतियां प्रचलित हैं.

250 साल पुराना है इतिहास
शंकर टेकरी मंदिर 250 सालों से भी प्राचीन बताया जाता है. टेकरी पर भगवान शंकर का सुंदर मंदिर परिसर है. मंदिर परिसर को देखें तो टेकरी पर बेलपत्र, चन्दन सहित कई तरह के पेड़ लगे हुए हैं, जो पूरी टेकरी को घेरे हुए रहते हैं. नगर के इतना समीप होने के बाद भी इस मंदिर में कोई भी व्यक्ति रात नहीं रुकता है. इसकी वजह 100 साल पहले एक पुजारी के साथ हुई घटना बताई जाती है.

ये है प्राचीन मान्यता
यहां के स्थानीय लोग इस मंदिर के पीछे एक प्राचीन कहानी बताते हैं. लोगों का मानना है कि सैकड़ों सालों पहले इस पूरे क्षेत्र में डाकनों और भूत-प्रेत का निवास था. वर्षों पहले यहां एक तपस्वी आये और उन्होंने अपनी शक्तियों से इस टेकरी से डाकनों और प्रेत आत्माओं से मुक्त कराया. कुछ समय बाद उन्हीं तपस्वी ने टेकरी पर शिवलिंग की स्थापना की. बाद में शहर के किसी भक्त ने यहां जीर्णोद्धार कर मंदिर का निर्माण करवाया. तपस्वी की मृत्यु के बाद यहां उनकी समाधी भी बनी हुई है.

रात में कोई क्यों नहीं जाता
लगभग 100 वर्ष पूर्व यहां के पुजारी जब शाम को मंदिर की आरती के बाद घर जा रहे थे, तब टेकरी पर एक बच्चा उन्हें रोता हुआ दिखाई दिया. पुजारी ने बच्चे को गोद में उठा लिया और नगर की तरफ चले गए. तभी पुजारी की नजर पड़ी की बच्चे के पैर अचानक बढ़ने लगे. पुजारी तुरंत समझ गये और बच्चे को फेंक दिया. जैसे ही बच्चे को फेंका, बच्चे ने भैंसे का रूप धारण कर लिया. इसी पुरानी किवदंती के चलते आज भी इस मंदिर में रात में जाने में लोगों की रूह कांपती है.

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