Raisen News: रायसेन के जंगलों में पिछले 6 महीन से खौफ का पर्याय बन चुके आदमखोर टाइगर को आखिरकार वन विभाग की टीम ने पकड़ ही लिया. लेकिन इसे पकड़ने के लिए 6 महीने तक जो अभियान चलाया गया, वह किसी हॉलीवुड फिल्म की कहानी से कम नहीं था. इसे पकड़ने के लिए एक-दो नहीं बल्कि तीन-तीन टाइगर रिजर्व की टीमों ने मिलकर काम किया.
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तकरीबन 5 हाथी दल और 150 वन कर्मियों की टीम ने मिलकर 6 महीने तक जंगलों में काम किया और पिछले 10 दिन में इस पूरी टीम ने 24 घंटे तक रायसेन और इसके आसपास के जंगलों में सघन सर्च अभियान चलाया. तब जाकर आदमखोर टाइगर पकड़ में आ गया, जिसकी दहशत की वजह से रायसेन के 36 से अधिक गांवों के लोग बीते 6 महीने से खौफ में जीने को मजबूर थे. आखिरकार उस खौफ पर काबू पाया जा सका.
रायसेन जिले में तीन टाइगर रिजर्व टीम 10 दिनों से आदमखोर रॉयल अर्बन टाइगर को पकड़ने के लिए 5 हाथियों के साथ 150 जवानों की रेस्क्यू टीम काम कर रही थी. 11वे दिन रायसेन में वन विभाग ने रॉयल अर्बन टाइगर बाघ को पकड़ लिया.
इस तरह से पकड़ा गया आदमखोर टाइगर
बीते 10 दिनों से रायसेन के रातापानी टाइगर रिजर्व सहित पन्ना के कान्हा और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की 150 जवानों की टीम 5 हाथियों के दल के साथ इस टाइगर का रेसक्यू करने के लिए तपती गर्मी में जंगल में कड़ी मेहनत की. जिसके बाद बाघ को वन विभाग द्वारा कल दोपहर करीब 2:30 बजे आख़िरकार पकड़ लिया गया है.
गौरतलब है कि बीती दस दिनों से कान्हा और पन्ना रिजर्व से पांच हाथियों सहित 150 से अधिक वन विभाग के जवानों डीएफओ से लेकर एसडीओ और रेंजर्स की टीम को जंगलों में रॉयल बाघ का रेस्क्यू करने में जुटना पड़ा. गुरुवार को बाघ का मूवमेंट रायसेन शहर के पास स्थित सूरई के जंगल में देखा गया था, जहां बाघ को घेर कर दो इंजेक्शन से दो घण्टे में बेहोश कर बाघ का रेस्क्यू कर लिया गया. आपको बता दें कि एक महीने पहले नीमखेड़ा निवासी मनीराम जाटव का इसी बाघ द्वारा शिकार किया गया था. जैसे ही आदमखोर टाइगर के पकड़े जाने की खबर मिली तो जिले में लोगों ने राहत की सांस ली.
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