Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश को यूं ही नहीं कहा जाता है कि वह अजब-गजब है. प्रदेश में ऐसे कई मामले सामने आते हैं, जिसे देख सुन कर हैरानी तो होती है, खुशी भी बहुत होती है. ऐसा ही एक मामला खरगोन में आया है. जहां पर बैल और गाय दूल्हा-दुल्हन बने हैं और इसकी बारात में 50 गांव के सैकड़ों लोग शामिल हुए. ये बाराती भी मध्य प्रदेश या खरगोन के नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के 50 गांवों से खरगोन पहुंचे हैं. खरगोन के महेश्वर में बैल को दूल्हे के रूप में सजाकर बैंड बाजे के साथ हजारों की संख्या में महाराष्ट्र से महेश्वर बाराती के रूप में पहुंचे महिला-पुरुष.
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गाय और बैल के इस अनोखे विवाह की चर्चा अब चारों तरफ है. बैल बना दूल्हा और गाय बन गई दुल्हन. 50 गांव के लोग बने बाराती. हिंदू रीति रिवाज से बैल और गाय का ग्रामीणों ने विवाह कराया गया. बड़ी संख्या में महिलाएं भी बारात में शामिल हुईं. खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर दूर महेश्वर में गाय और बैल की अनोखी शादी कराई गई. महाराष्ट्र के धूलिया जलगांव जिले के 50 से अधिक गांव के भरवाड़ समाज, मालधारी समाज के हजारों सामाजिक बंधुओ ने ये अनोखा आयोजन किया.
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बैंड बाजे की धुन पर थिरकते रहे बाराती
समाज के लोगों ने बाकायदा बैल को दूल्हे के रूप में सजाया डीजे बैंड बाजे की धुन पर थिरकते हुए हजारों की संख्या में बाराती बनकर महेश्वर में दुल्हन बनी गाय का विवाह करने पहुंचे। ग्रामीणों ने इस विवाह का नाम शिव विवाह रखा। शिव विवाह में दुल्हन गौ माता नंदिनी जो महेश्वर निवासी थी और दूल्हा बना बैल नंदकिशोर दैवद गांव शिरपुर महाराष्ट्र से अपनी दुल्हन लेने पहुंचा। दुल्हन गाय और दूल्हे की उम्र 12 महीने है।
कैड़ा-कैड़ी का विवाह कराने का आया विचार
महाराष्ट्र निवासी राणा भगत का कहना है मुझे विचार आया कि कैड़ा-कैड़ी (बैल-गाय) का विवाह कराया जाय. जब मैं गुजरात से महाराष्ट्र आए तो मैंने सोचा महेश्वर में मैं अनुष्ठान करूंगा. मैंने निर्णय लिया की गाय बैल का विवाह कराऊंगा क्योंकि पुराने जो ऋषि महात्मा थे वो गाय और बैल का विवाह करते थे. शिव विवाह बैल और गाय का विवाह है. अहिल्या माता की नगरी महेश्वर और नर्मदा नदी के किनारे गाय बैल का विवाह कराया है. इसमें सभी समाज के लोग शामिल हुए हैं बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुई है पूरे विधि विधान के साथ गाय बैल का विवाह कराया गया है.
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