Ankita Patkar Exclusive: मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) 2021 बैच का फाइनल रिजल्ट जारी कर दिया है. इसके साथ ही एमपीपीएससी ने टॉप टेन की लिस्ट भी जारी की है, जिसमें 7 बेटियां हैं. टॉप टेन में आने वाले अभ्यर्थी डिप्टी कलेक्टर बनेंगे. अंकिता पाटकर (MPPSC Topper Ankita Patkar) ने सबको पछाड़ते हुए टॉप किया है. अंकिता ने सबसे ज़्यादा (942) अंक दर्ज किए और वह 2021 बैच की टॉपर बनीं.
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MP Tak ने अंकिता पाटकर से एक्सक्लूसिव बातचीत की. अंकिता ने अपनी सफलता के 3 मंत्र बताए जिसे फॉलो हर किसी को फॉलो करना चाहिए...
उन्होंने कहा- "अभी बहुत खुशी महसूस हो रही है. मैंने रैंक-1 हासिल करते हुए MPPSC में पूरे MP में टॉप किया है. पहले तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ पर अब थोड़ा-थोड़ा हो रहा है. अभी मुझे डिप्टी कलेक्टर का पद मिला है. शासन की जो भी ज़िम्मेदारी दी जाएगी उसे निभाने का पूरा प्रया करूंगा. मेरा इंटरेस्ट है कि मैं बच्चों के शिक्षा के लिए काम करू और फीमेल और हेल्थ के लिए भी काम करना चाहती हूं."
अपने पैरों पर खड़ी हों महिलाएं: अंकिता
महिलाओं की शिक्षा पर बात करते हुए अंकिता ने कहा, "अभी हम देखते हैं कि महिलाओं का एनरोलमेंट् एक मेल के मुकाबले कम रहता हैं, मै चाहती हूं की उनका एनरोलमेंट् बढ़े और वह आगे आयें. MPPSC के रिजल्ट ने ही प्रूव किया है कि 10 में से 7 महिलाएं टॉपर लिस्ट में आयी हैं. ऐसे में मैं चाहती हूं बचपन से ही नींव बने और हर महिला अपने पैरों पर खड़ी हो सके.
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ये है अंकिता पाटकर का सक्सेस मंत्र
अंकिता पाटकर ने अपने सक्सेस मंत्र बताते हुए कहा- हर रोज सुबह 8 बजे पढ़ाई के लिए लाइब्रेरी पहुंच जाती थी. कोशिश करती थी कि 8 से 10 घंटे पढ़ाई कर सके और निरंतर जुटी रहें. यूट्यूब चैनल ने काफी मदद की, यहां से पीएससी की तैयारी करने में काफी हेल्प की. उनका सक्सेस मंत्रा था- तैयारी एग्जाम ओरिएंटेड और सिलेबस देखकर करना... (स्मार्ट वर्क ओवर हार्ड वर्क).
शानदार था जॉब एक्सपीरिएंस
अंकिता ने यह भी कहा, "मैंने तैयारी सिविल सर्विस MPPSC के लिए ही की थी, मगर रिजल्ट आने में समय लगा. इसलिए मैंने और परीक्षा भी दे दी थी. साथ में जिसकी वजह से मेरा प्राइमरी टीचर के पद पर भी चयन हुआ. सहायक विकास विस्तार अधिकारी के पद पर भी हुआ. मेरे जॉब के एक्सपीरिएंस और एक्सपोजर ने मुझे पेपर लिखने में भी मदद की. मैं फील्ड एक्सपीरिएंस शेयर करते हुुए कहा- इंटरव्यू में भी हेल्प मिली. मै इसका श्रेय सबसे पहले अपने माता- पिता, भाई -बहन और ग्रामीण शेत्र के परिवारजनो को दूंगी. इसके साथ भोपाल के गुरुओ का भी अहम योगदान था."
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