Bhojshala survey : धार की भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के सर्वे का आज पांचवां दिन है. सुबह 7 बजकर 14 मिनट पर ही एएसआई टीम ने भोजशाला परिसर में में प्रवेश कर लिया था. इतनी सुबह टीम के प्रवेश करने के पीछे की वजह आज मंगलवार होना बताया गया है. ऐस इसलिए क्योंकि आज के दिन यहां कई लोग पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं.
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दरअसल, साल 2003 में बनाई गई एक व्यवस्था के अनुसार, भोजशाला में हिंदू मंगलवार को सूर्योदय से सूर्यास्त तक परिसर में पूजा करते हैं. जबकि मुस्लिम शुक्रवार को दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक नमाज अदा करते हैं. तभी इसी नियम का पालन किया जा रहा है.
मंगलवार होने के कारण मंदिर में भारी भीड़
आज मंगलवार होने की वजह से बड़ी संख्या में हिंदू धर्मावलंबी हनुमान चालीसा का पाठ और पूजा करने के लिए भोजशाला पहुंचे. सर्वे कार्य प्रारंभ होने के पहले और मंगलवार होने के कारण श्रद्धालुओं में जबरजस्त उत्साह देखा गया. मंदिर के बाहर जमकर नारेबाजी और मंदिर में पूजा अर्चना के लिए महिलाएं भी लाइन में लगी नजर आई.
ASI का पांचवे दिन सर्वे जारी
बता दें कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की एक टीम 22 मार्च को शुरू हुए सर्वेक्षण का संचालन करने के लिए मध्य प्रदेश के धार में भोजशाला परिसर में पहुंची है. धार की भोजशाला मंदिर है या फिर मस्जिद? चार दिनों से ASI की दिल्ली और भोपाल की टीम भोजशाला का सर्वे कर रही है. आज सर्वे का पांचवां दिन है. यह वैज्ञानिक सर्वे मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के आदेश पर किया जा रहा है.
क्या है हिन्दू-मुस्लिम पक्ष का दावा?
भोजशाला एएसआई द्वारा संरक्षित 11वीं सदी का एक स्मारक है. हिंदू इसे वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानते हैं और मुसलमान इसे कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं. यूं तो भोजशाला का विवाद दशकों पुराना है लेकिन साल 2022 में इंदौर हाई कोर्ट में दायर एक याचिका ने इसे एक नया मोड़ दे दिया. याचिका में यहां सरस्वती देवी की प्रतिमा स्थापित करने और पूरे परिसर की फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी करवाने की मांग की गई थी.
रिपोर्ट- छोटू शास्त्री (धार)
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