MP High Court: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार को यह समझने में लगभग 5 दशक लग गए कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) जैसे "अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध" संगठन को सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रतिबंधित संगठनों की सूची में गलत तरीके से रखा गया था.
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हाईकोर्ट की यह टिप्पणी उस समय आई जब न्यायमूर्ति अरविंद धर्माधिकारी और गजेंद्र सिंह की पीठ ने सेवानिवृत्त केंद्रीय सरकारी कर्मचारी पुरुषोत्तम गुप्ता की रिट याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. याचिकाकर्ता पुरुषोत्तम गुप्ता ने पिछले साल 19 सितंबर को हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमों के साथ-साथ केंद्र के कार्यालय ज्ञापनों को चुनौती दी गई थी, जो संघ की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी को रोक रहे थे.
हाईकोर्ट की युगल पीठ ने कहा, "अदालत इस बात पर अफसोस जताती है कि केंद्र सरकार को अपनी गलती का एहसास होने में लगभग पांच दशक लग गए; यह स्वीकार करने में कि आरएसएस जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध संगठन को देश के प्रतिबंधित संगठनों में गलत तरीके से रखा गया था. इसे वहां से हटाना सर्वोत्कृष्ट है."
पांच दशक कैसे लग गए इस बात को समझने में: हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने आगे कहा, "इस प्रतिबंध के कारण इन पांच दशकों में देश की सेवा करने की कई केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की आकांक्षाएं कम हो गईं, जो केवल तभी हटाई गईं जब इसे वर्तमान कार्यवाही के माध्यम से इस न्यायालय के संज्ञान में लाया गया."
हाईकोर्ट की युगल पीठ ने केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और गृह मंत्रालय को निर्देश दिया कि वे अपनी आधिकारिक वेबसाइट के होम पेज पर 9 जुलाई के कार्यालय ज्ञापन को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करें, जिसके माध्यम से सरकारी कर्मचारियों पर संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध हटा दिया गया था.
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सरकार अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर सार्वजनिक करें सामग्री: एमपी हाईकोर्ट
हाईकोर्ट की पीठ ने कहा- "इसलिए, हम कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और गृह मंत्रालय, भारत सरकार को निर्देश देते हैं कि वे अपनी आधिकारिक वेबसाइट के होम पेज पर वर्तमान याचिका में दायर 9 जुलाई, 2024 के परिपत्र/ओएम की सामग्री और प्रति सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करें."
हाईकोर्ट ने कहा, "यह उक्त परिपत्र/ओएम जारी करने के बारे में सार्वजनिक ज्ञान और जानकारी सुनिश्चित करने के लिए है. इसके अलावा, इस न्यायालय के फैसले के 15 दिनों के भीतर, 9 जुलाई, 2024 के परिपत्र/ओएम को पूरे भारत में केंद्र सरकार के सभी विभागों और उपक्रमों को प्रेषित करने का भी निर्देश दिया जाता है."
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