Aditya L-1: इसरो ने चंद्रयान-3 के बाद अब आदित्य L-1 (Aditya L-1) लॉन्च कर दिया है. सूर्य के अध्ययन के लिए इसरो (Isro) का सोलर मिशन आदित्य एल-1 शनिवार को लॉन्च हुआ. इसकी सफल लॉन्चिंग से देशभर में खुशियां छायी हुई हैं. इसी बीच खरगोन की बहू और महेश्वर की बेटी प्रिया भी सुर्खियों में है. दरअसल आदित्य एल-1 का हार्ट बनाने में बड़वाह की बहू प्रिया की महत्वपूर्ण भूमिका है.
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सूर्य के अध्ययन के लिए मिशन में 7 पेलोड लगाए हैं. इसमें एक सबसे अहम विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ VELC पेलोड को मिशन का हार्ट कहा गया है. इस हार्ट को बनाने में बड़वाह की बहु प्रिया कृष्णकांत शर्मा की एक अहम भूमिका है. प्रिया वर्तमान में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स बेंगलुरु में प्रोजेक्ट इंजीनियर के पद पर कार्यरत है. ये पेलोड इसी इंस्टीट्यूट में तैयार हुआ है.
आदित्य L-1 का हार्ट बनाने वाली प्रिया
इसरो के पहले सोलर मिशन आदित्य एल-1 की शनिवार को लॉन्चिंग हुई. हरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च होने के 110-120 दिन बाद ये आदित्य एल-1 सूर्य की एल-1 कक्षा में स्थापित होगा. इसमें लगे पेलोड विभिन्न बिन्दुओं पर सूर्य का अध्ययन करके, इससे प्राप्त डाटा देश को सूर्य से जुडी कई महत्वपूर्ण जानकारी भी देगा. सूर्य के अध्ययन के लिए मिशन में 7 पेलोड लगाए हैं. इसमें एक सबसे अहम विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ VELC पेलोड को मिशन का हार्ट कहा गया है. प्रिया ने इस पेलोड में ऑप्टिकल डिजाइन एनालिसिस और सिम्युलेशन में अपना योगदान दिया है. इसके साथ ही जब इस पेलोड को यान के साथ इंटीग्रेड किया गया तो उस दौरान अंतिम ऑप्टिकल टेस्ट के दौरान भी वे इसरो में मौजूद रही. इतना ही नहीं इस मिशन के लॉन्च के पहले ऑप्टिकल टेस्ट में प्रिया के द्वारा की गई प्लानिंग और सिम्युलेशन के रिजल्ट से पूरी टीम को निष्कर्ष निकालने में मदद मिली थी.
ऐसे बनीं आदित्य l-1 मिशन का हिस्सा
प्रिया ने खरगोन के मंडलेश्वर के एक निजी इंजीनियरिंग संस्था से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की थी. इसके बाद उन्होंने एसजीएसआईटीएस इंदौर से ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स में एमटेक किया है. इसके बाद उन्होंने आईआईटी इंदौर में भी करीब 6 महीने तक कार्य किया था. डीआरडीओ की एग्जाम क्लियर करने के बाद प्रिया का चयन डीआरडीओ में हो गया. अक्टूबर 2019 से सितंबर 2022 तक वे डीआरडीओ में रहकर रक्षा से संबंधित विभिन्न अनुसंधानों से जुड़ी रही. डीआरडीओ में उसकी रिसर्च के आधार पर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स बेंगलुरु में उनका सिलेक्शन हुआ था. यही वे पैलोड की फाइनल टेस्टिंग के दौरान टीम का हिस्सा बनीं.
देवी अहिल्या के नगर महेश्वर की बेटी है प्रिया
प्रिया का मायका देवी अहिल्या के नगर खरगोन जिले के महेश्वर में है. प्रिया के पिता श्याम गावशिंदे और माताजी गायत्री गावशिंदे दोनो शिक्षक हैं. उनके भाई गौरव न्यायालयीन कर्मचारी हैं. उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी इसी क्षेत्र में हुई है. इस तरह प्रिया अहिल्या नगरी महेश्वर की बेटी भी हैं. वर्तमान में प्रिया बेंगलुरु में अपने पति कृष्णकांत शर्मा के साथ रह रही हैं. वे ऑटोमेशन इंजीनियर हैं, कृष्णकांत भी बेंगलुरु में एक निजी कंपनी में कार्यरत है. कृष्णकांत बड़वाह की नर्मदा नगर कॉलोनी के निवासी है. उनके पिता राकेश शर्मा विवि कंपनी में कार्यरत हैं, जबकि माताजी संगीता शर्मा गृहिणी हैं. इस तरह प्रिया बड़वाह की बहू हैं, जबकि उनका मायका महेश्वर है.
प्रोजेक्ट इंजीनियर हैं प्रिया
इंजीनियर प्रिया शर्मा का कहना है वर्तमान में मैं प्रोजेक्ट इंजीनियर के रूप में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इसरो फिजिक्स में वीएलसी प्रोजेक्ट में कम कर रही हूं. जैसे ही आदित्य एल-1 सेटेलाइट L1 पॉइंट पर पहुंच जाएगा, 24/7 डेटा आना शुरू होगा. उस डाटा का हम लोग एनालिसिस करेंगे. इसके लिए एक टीम बनाई गई है. उस टीम का मैं हिस्सा हूं. पूर्व में मैं ऑप्टिक में अहम योगदान दिया है. मैंने वीईएलसी डिजाइन का एनालिसिस किया है. जैसे ही वीईएलसी इसरो को हैंडओवर किया गया. उसके बाद भी इसरो में कुछ टेस्ट कंडक्ट किए गए. अब जब ये मिशन लांच हो रहा है तो वे बेहद उत्साहित हैं. आदित्य L-1 के L-1 प्वाइंट पर स्थापित होने के बाद इस (VELC) पेलोड से जो डाटा आएगा, उसे एनालिसिस करने वाली टीम में भी प्रिया शामिल हैं.
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