School Hijab Controversy: मध्य प्रदेश के दमोह के स्कूल में बच्चियों को हिजाब पहनाने को लेकर शुरू हुए विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब इस मामले में प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने गंगा जमुना स्कूल पर धर्मांतरण कराने का गंभीर आरोप लगाया है. साथ ही उन्होंने स्कूल के कनेक्शन आतंकियों से होने का संदेह जताया है. स्कूल शिक्षा मंत्री परमार भोपाल में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे.
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शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा- “नाबालिग बेटे और बेटी किसी स्कूल में आते हैं, और उनकी घर की आस्था से अलग कोई दूसरी आस्था थोपी जाती है, क्योंकि वह खुद का निर्णय नहीं कर सकते हैं. स्कूल की भूमिका संदिग्ध है और अब सामने आ रहा है कि स्कूलों में टीचरों ने भी धर्मांतरण कराया है. यदि बालिग लोगों का वहां पर धर्मांतरण किया जा रहा है, इसका मतलब वहां पर धर्मांतरण की गतिविधि संचालित हो रही है. इसलिए मैं कहता हूं कि वह स्कूल के नाम पर धर्मांतरण की गतिविधि ही नहीं, हो सकता है आतंकवादियों से भी उनके संबंध हों.”
कलेक्टर और डीईओ के संरक्षण में चल रही थी अवैध गतिविधियां
‘मुझे जानकारी मिली है कि उनकी बीड़ी बनाने की फर्म है, और उसकी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में इसकी अनुमति दी जा रही है. ऐसे में कलेक्टर की जवाबदारी बनती है और कलेक्टर पर संदेह इसलिए भी हो रहा है, क्योंकि कलेक्टर बार-बार आगे आकर उनके बचाव में बयान दे रहे हैं. इसका मतलब है कि स्कूल में कलेक्टर और डीईओ के संरक्षण में ऐसी गतिविधियां संचालित हाे रही हैं.”
राज्य बाल आयोग की जांच में पता चला कि ये गंभीर मामला
एजुकेशन मिनिस्टर परमार ने कहा- “प्रथम दृष्टया शिक्षा विभाग के अधिकारी के नाते डीईओ की गलती साफ दिखती है. रिजल्ट आने के बाद जब पोस्टर लगाए गए तो समाज और जनता को पता चला कि अंदर क्या चल रहा है. डीईओ का कर्तव्य था कि ऐसे स्कूलों में जाकर देखें कि क्या चल रहा है, उसे देखना चाहिए. लेकिन उसने वह नहीं किया और गलत रिपोर्ट विभाग को भेजी गई, हमारे पास भी गलत रिपोर्ट आई है. जेडी ने मामले की जांच की और मान्यता को निलंबत किया है. लेकिन जब राज्य बाल आयाेग के सदस्य उस स्कूल में गए और उन्होंने जो तथ्य पेश किए हैं, उससे पता चला कि ये बहुत गंभीर मामला है.”
सुनिए शिक्षा मंत्री ने क्या कहा…
स्कूल को क्लीनचिट देने का काम कलेक्टर ने किया: शिक्षामंत्री
शिक्षा मंत्री ने आगे कहा- “मुझे तो आश्चर्य तब हुआ, जब जिले के कलेक्टर ने जिसे पहले ही संज्ञान लेना चाहिए था. वहां पर केवल गणवेश, शिक्षा का मामला नहीं था, ये वहां पर समाजों के बीच वैमन्यता पैदा करने का बड़ा प्रयास था और उसमें क्लीन चिट देने का काम कलेक्टर ने किया. और मुझे ये भी पता चला है कि कलेक्टर ने डीईओ को भी दबाने की कोशिश की गई. स्कूल के अंदर कैंपस में जो जो भी लिखा गया था, वह तो केवल धार्मिक शिक्षा देने का केंद्र मात्र होना चाहिए था. अन्य छात्रों को उस प्रकार की शिक्षा देना भी आपत्तिजनक था, जिसे बाद में मिटाया गया है. इसलिए हमने फैसला किया है कि इसकी व्यापक जांच की जाए. डीईओ की भूमिका की जांच होगी और शिक्षा विभाग सख्त कार्रवाई करेगा.”
पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि क्या दोनों (डीईओ और कलेक्टर पर) स्कूल के साथ ही आपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए?
इस पर इंदर सिंह परमार ने कहा- हमारी जांच नियम प्रक्रिया के तहत ही होगी, साथ ही प्रदेश में स्कूलों में गणवेश निर्धारित करने का काम नियम प्रक्रिया के तहत होना चाहिए अभी तक छूट दी गई थी.
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