बाल आयोग की जांच में खुलासा, बच्चियों को करते थे हिजाब पहनने को मजबूर, स्कूल की मान्यता निलंबित

Hijab Controversy: आखिरकार मध्यप्रदेश के दमोह में हिजाब कंट्रोवर्सी का पटाक्षेप हो ही गया. शुक्रवार को दमोह के उस स्कूल में राज्य बाल आयोग की टीम जांच करने पहुंची, जिस पर आरोप लग रहे थे कि स्कूल में बच्चियों को हिजाब पहनने को मजबूर किया जाता है और उसका एक पोस्टर भी सोशल मीडिया पर […]

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Hijab Controversy: आखिरकार मध्यप्रदेश के दमोह में हिजाब कंट्रोवर्सी का पटाक्षेप हो ही गया. शुक्रवार को दमोह के उस स्कूल में राज्य बाल आयोग की टीम जांच करने पहुंची, जिस पर आरोप लग रहे थे कि स्कूल में बच्चियों को हिजाब पहनने को मजबूर किया जाता है और उसका एक पोस्टर भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. आयोग की जांच में खुलासा हुआ कि वास्तव में स्कूल में प्रवेश से पहले बच्चियों को हिजाब पहनने को मजबूर किया जाता था और जो बच्ची हिजाब पहनने से मना कर देती तो उसकी डांट-फटकार स्कूल प्रबंधन और टीचरों द्वारा लगाई जाती थी. इस सनसनीखेज खुलासे के बाद देर शाम शिक्षा विभाग ने स्कूल की मान्यता निलंबित कर दी और मामले को जांच में ले लिया.

दमोह के गंगा-जमुना नाम के इस स्कूल पर आरोप लगे थे कि यहां पर बच्चियों को हिजाब पहनकर ही प्रवेश दिया जाता है. इसका एक फोटो और पोस्टर वायरल होने लगा तो खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान को मामले की जांच करने के निर्देश जारी करना पड़े. इसके बाद ही शुक्रवार को दमोह में राज्य बाल आयोग की टीम जांच करने पहुंच गई.

जांच के दौरान टीम ने कुछ बच्चियों से बात करने की कोशिश की तो डर के मारे बच्चियां आयोग की टीम से बात नहीं कर सकीं. इसके बाद टीम के सदस्यों ने पूरे स्कूल की छानबीन की तो वहां पर उर्दु किताबें बड़े पैमाने पर मिली. टीचरों से पूछताछ में खुलासा हुआ कि स्कूल में पहली प्राथमिकता उर्दू भाषा को दिया जाता था और उसके बाद इंग्लिश फिर तीसरे नंबर पर हिंदी को प्राथमिकता देते थे.

स्कूल मैनेजमेंट बोला, मुस्लिम बच्चियों को देते थे एडमिशन में प्राथमिकता
बाल आयोग की टीम की पूछताछ में स्कूल मैनेजमेंट ने स्वीकार किया कि उनके यहां पर मुस्लिम बच्चियों को एडमिशन देने में प्राथमिकता दी जाती थी. हालांकि स्कूल में हिंदू बच्चियां भी पढ़ती थीं. लेकिन प्राथमिकता मुस्लिम परिवारों की बच्चियों को देते थे. बाल आयोग के सदस्य मेघा पवार, ओमकार सिंह ने मीडिया को बताया कि उन्होंने एक ऐसी बच्ची और परिवार से मुलाकात की जो स्कूल की इस मनमानी से परेशान होकर स्कूल छोड़ गए थे. बाल आयोग की टीम उनके घर गई तो बच्ची ने कई चौकाने वाले खुलासे किए.

परिवार ने बताया कि बिना हिजाब स्कूल में एंट्री नहीं थी
पीड़ित परिवार और उनकी बच्ची ने बाल आयोग की टीम को बताया कि स्कूल के गेट पर ही प्यून उनको रोक लेता था और हिजाब पहनने को बोला जाता था. बिना हिजाब के बच्ची को स्कूल में अंदर नहीं जाने दिया जाता था. कई बार स्कूल के शिक्षकों ने बच्ची को सिर्फ इसलिए डांटा, क्योंकि उसने हिजाब नहीं पहना हुआ था. इन सभी परेशानियों के कारण परिवार ने अपनी बच्ची को स्कूल से बाहर निकाल लिया था.

हिजाब विवाद के बाद सीएम शिवराज एक्शन के मूड में
मामला जानकारी में आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दमोह में हिजाब मामले में नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने दमोह कलेक्टर को हिजाब मामले की पूरी जांच के निर्देश दिए है. सीएम ने कहा- ‘ मामला मेरे संज्ञान में आया है, किसी भी बेटी को कोई भी स्कूल बाध्य नहीं कर सकता कि वह कोई ऐसी चीज पहने जो उनकी परंपरा में नहीं है. सीएम ने ऐसे मामलों में कड़ा एक्शन लेने की बात कही है. सीएम ने शुक्रवार को छतरपुर की जनसभा में यहां तक कह दिया कि ऐसे स्कूल-कॉलेजों को बंद करा देंगे जो अपने कैंपस में बच्चियों को हिजाब पहनने को मजबूर करेंगे.

इनपुट: दमोह से शांतनु भारत की रिपोर्ट

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