MP News: झाबुआ की विशेष अदालत ने छेड़छाड़ (पॉक्सो मामले) के आरोप में गिरफ्तार किये गये झाबुआ के डिप्टी कलेक्टर को जमानत दे दी है. गुरुवार को एक आदिवासी छात्रावास की बालिकाओं की शिकायत के बाद FIR दर्ज कर पहले एसडीएम सुनील कुमार झा को निलंबित किया गया था, उसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था. लेकिन प्रत्यक्षदर्शी ने छेड़छाड़ के आरोपों को गलत बता दिया.
ADVERTISEMENT
झाबुआ के तत्कालीन एसडीएम सुनील कुमार झा अनुसूचित जनजाति छात्रावास में निरीक्षण के लिए पहुंचे थे. इसके बाद नाबालिग छात्राओं ने उनके ऊपर छेड़छाड़ और आपत्तिजनक बातें करने जैसे गंभीर आरोप लगाए थे. मामले की शिकायत पुलिस थाने में की गई थी, जिसके बाद आरोपी एसडीएम को गिरफ्तार कर लिया गया था.
छेड़छाड़ के आरोपों को गलत बताया
बुधवार को जमानत को लेकर हुई बहस के दौरान बचाव पक्ष के वकील ने झा के सरकारी ड्राइवर, सुरक्षा में तैनात होमगार्ड जवान और शिक्षा विभाग के एपीसी ज्ञानेंद्र ओझा की ओर से दिये गये शपथ पत्रों को संज्ञान में लिया. इन शपथ पत्रों में तीनों ही लोगों ने खुद को निरीक्षण के दौरान प्रत्यक्षदर्शी बताकर छेड़छाड़ के आरोपों को ग़लत बताया है. विशेष अदालत के न्यायाधीश राजेन्द्र शर्मा ने तमाम दलीलों को सुनने के पश्चात कहा कि एसडीएम ने सरकार से सेनेटरी पैड मिलते हैं या नहीं यह सवाल किया था जो शायद गलत तरीके से लिया गया, इसलिए जमानत दिया जाना उचित होगा.
वहीं आरोपी डिप्टी कलेक्टर सुनील कुमार झा को जमानत दिये जाने को लेकर अभियोजन पक्ष ने यह कहते हुए जमानत का विरोध किया कि इससे गलत संदेश जाएगा.
हाई कोर्ट में होगी अपील
मामले की जांच जारी है कुछ धाराएं जांच के तथ्यों के आधार पर बढ़ाई भी जा सकती हैं. साथ ही कोर्ट में पीड़ित चारों बालिकाओं द्वारा दिये गये धारा 165 के बयानों का भी अभियोजन पक्ष ने हवाला दिया. बहरहाल तत्कालीन एसडीएम सुनील कुमार झा को मिली जमानत के विरुद्ध अभियोजन अधिकारी मनीषा मुवेल ने शासन की ओर से हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में जाकर जमानत रद्द किये जाने की याचिका लगाने की बात कही है, लेकिन उसके लिए शुक्रवार को मिलने वाली आधिकारिक आदेश की कापी का इंतजार किया जा रहा है.
यहां पढ़ें क्या है पूरा मामला: आदिवासी छात्राओं से छेड़छाड़ के आरोप में झाबुआ SDM कर बड़ी कार्रवाई, ST-SC एक्ट में केस दर्ज
ADVERTISEMENT