Amarwara By Elections: बीजेपी कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में लगातार सेंधमारी की कोशिश कर रही है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने छिंदवाड़ा सीट पर कब्जा कर लिया है. अब भाजपा की नजर छिंदवाड़ा की अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर है. दरअसल, अमरवाड़ा में विधानसभा उप चुनाव होना है. अब कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां इस सीट को जीतने की तैयारी में जुट गई हैं.
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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान छिंदवाड़ा की सभी सीटें कांग्रेस ने जीती थीं. अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस विधायक ने जीत दर्ज की थी. हालांकि लोकसभा चुनाव के पहले अमरवाड़ा विधायक ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है. कांग्रेस विधायक के इस्तीफे से खाली हुई इस सीट पर अब उपचुनाव कराया जा रहा है.
अमरवाड़ा में कब होगा उपचुनाव?
निर्वाचन आयोग ने अमरवाड़ा में उपचुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. 21 तारीख से नामांकन फॉर्म भरे जाएंगे. तो वहीं नामांकन फॉर्म भरने की अंतिम तारीख 21 जून होगी. बात करें नामांकन फॉर्म वापस लेने की तो 26 तारीख तक प्रत्याशी नामांकन फॉर्म वापस ले सकता है. इसी के साथ ही 10 जुलाई को मतदान कराया जाएगा. जिसके परिणाम 15 जुलाई को सामने आएंगे.
कमलेश शाह ने छोड़ा था कमलनाथ का साथ
लोकसभा चुनाव के पहले अमरवाड़ा से कांग्रेस विधायक राजा कमलेश शाह ने कांग्रेस और कमलनाथ का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. जिससे कमलनाथ को बड़ा झटका लगा था. जिसके बाद उन्होंने विधानसभा सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया था. यही कारण है कि इस सीट पर उपचुनाव होने वाले हैं. चर्चा है कि इस बार बीजेपी कमलेश शाह को उम्मीदवार बना सकती है. मोनिका बट्टी के नाम की भी चर्चाएं हैं.
अमरवाड़ा पारंपरिक रूप से कांग्रेस के कब्जे वाली सीट मानी जाती है. कांग्रेस 9 बार यहां विधानसभा चुनाव जीत चुकी है, जबकि भाजपा अब तक केवल 2 बार यहां जीत दर्ज कर पाई है. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी एक बार इस सीट पर जीत हासिल कर चुकी है. ऐसे में इस उपचुनाव का मुकाबला काफी दिलचस्प माना जा रहा है.
अपनी साख बचा पाएंगे नाथ?
छिंदवाड़ा कमलनाथ का गढ़ कहा जाता है. लोकसभा चुनाव में नकुलनाथ की करारी हार के बाद कमलनाथ की साख पर सवाल खड़े हो रहे हैं. ऐसे में अब अमरवाड़ा सीट जीतना कमलनाथ की साख का भी सवाल है. छिंदवाड़ा में हार के बाद नकुलनाथ ने बयान देते हुए कहा था कि वे छिंवदाड़ा से बोरिया बिस्तर बांधकर कहीं नहीं जा रहे हैं. मतलब साफ है कि नाथ परिवार अपने गढ़ को बचाने की पूरी कोशिश आगे भी करेगा.
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