Indore Lok Sabha Seat: कांग्रेस पार्टी को इंदौर हाईकोर्ट से भी झटका लगा है. अक्षय बम द्वारा नामांकन वापस लेने और बीजेपी में शामिल हो जाने के बाद डमी प्रत्याशी मोती पटेल की याचिका को भी खारिज कर दिया गया है. अक्षय बम ने कल ही अपना नामांकन वापस लिया था ओर बीजेपी में शामिल हो गए थे.
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कांग्रेस पार्टी को इंदौर में झटके पर झटके लग रहे हैं. कांग्रेस के डमी कैंडिडेट मोती पटेल की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने मोती पटेल की याचिका पर सुनवाई करते हुए ट्रेन की वेटिंग टिकट का हवाला दिया. साफ किया कि अगर टिकट वेटिंग लिस्ट की है और वह कंफर्म नहीं होती है तो फिर टिकट अपने आप ही कैंसिल हो जाती है. ऐसे में जो भी यात्री हैं उसे एक जनरल टिकट भी लेकर यात्रा करनी चाहिए. ताकि वो बिना फाइन यात्रा तो कर सकेगा. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता मोती पटेल को चुनाव आयोग के पास जाने का सुझाव भी दे दिया.
कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय बम के नामांकन वापसी के बाद से डमी कैंडिडेट मोती पटेल ने हाईकोर्ट का रुख किया था. अपनी याचिका में मोती पटेल ने कहा था कि नियमानुसार कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन यदि निरस्त हो जाता है या वे नाम वापस ले लेते है तो डमी प्रत्याशी ही अधिकृत प्रत्याशी माना जाता है. बम ने नामांकन वापस लिया है तो उन्हें कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार के रुप में चुनाव लड़ने का अधिकार है. हालांकि कोर्ट ने उनके इस तर्क को नहीं माना और याचिका खारिज कर दी.
इंदौर सीट कांग्रेस के हाथ से बिना चुनाव लड़े ही निकल गई
सोमवार का दिन देश की राजनीति में बड़ा ही उथल-पुथल वाला रहा. जहां पहली बार नामांकन वापसी वाले दिन कांग्रेस के प्रत्याशी अक्षय कांति बम द्वारा अपना नाम वापस ले लिया गया और सीधे भाजपा में शामिल हो गए. वहीं इस घटना के बाद इंदौर कांग्रेस के नेताओं ने वरिष्ठ नेतृत्व पर भी सवाल खड़े किए. इंदौर कांग्रेस के एक नेता तो कलेक्ट्रेट ऑफिस के बाहर अक्षय कांति बम को पकड़ने ही पहुंच गए थे लेकिन उससे पहले ही कैलाश विजयवर्गीय व अन्य बीजेपी नेता उनको अपने साथ लेकर चले गए.
जिसके बाद नाराज कांग्रेस नेताओं ने कलेक्ट्रेट परिसर से ही कांग्रेस के सीनियर लीडर्स से बात करके नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि किस आधार पर अक्षय कांति बम जैसे नेताओं को कांग्रेस पार्टी ने टिकट वितरित किए थे और जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की गई, जिसकी वजह से इंदौर जैसी सीट कांग्रेस बिना चुनाव लड़े ही हार गई.
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