MP Loksabha Election 2024: मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनावों के बाद लोकसभा चुनावों में अपना शानदार परफॉर्मेंस दिया है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी का परफॉमेंस 100 फीसदी रहा है यानि कि प्रदेश की 29 की 29 लोकसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है. अब ऐसे में सवाल उठता है कि अगर एनडीए की सरकार बनी तो मध्य प्रदेश किस-किस सांसद को कैबिनेट में जगह मिल सकती है.
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बात करें अगर साल 2019 लोकसभा चुनाव की तो 2019 में पार्टी ने 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी. केंद्र में जब बीजेपी की सरकार बनी तो एमपी से चार मंत्री केंद्र सरकार में बनाए गए. इनमें नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते और वीरेंद्र कुमार खटीक हालांकि जब सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा तो सिंधिया को भी केंद्र में मंत्री बना दिया गया.
मंत्री पद की रेस में कौन आगे
मध्य प्रदेश में इस बार तो 29 की 29 सीटें बीजेपी के खाते में आई हैं. ऐसे में सवाल है कि मध्य प्रदेश से कौन-कौन केंद्र में मंत्री बनेगा. इस बार नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद सिंह पटेल दावेदार नहीं हैं. क्योंकि, उन्हें आला कमान ने राज्य की सियासत में व्यस्त कर दिया है. ऐसे में अब मंत्री पद के प्रबल दावेदारों में शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया और वीडी शर्मा मुख्य रूप से शामिल हैं.
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शिवराज को मिला मोदी का साथ
शिवराज सिंह चौहान को लेकर तो मोदी चुनाव प्रचार के दौरान ही इशारा कर चुके हैं. तो वहीं वीडी शर्मा की भी केंद्रीय आला कमान जमकर तारीफ कर चुका है. क्योंकि, जब से वीडी शर्मा ने बीजेपी अध्यक्ष का पद संभाला है. तब से उनके नेतृत्व में हुए सभी चुनावों में बीजेपी ने जबरदस्त सफलता हासिल की है.
क्या महिला सांसद को मिलेगा मंत्री पद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी रैलियों में वीडी शर्मा की तारीफ कर चुके हैं. ऐसे में अटकले हैं कि उनका प्रमोशन हो सकता है. ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी फिर से रिपीट किया जा सकता है. तो इस बार एमपी से छह महिलाओं ने जी हासिल की है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है. कि एक महिला भी केंद्र में मंत्री बनाई जा सकती है.
कट जाएगा दिग्गज का पत्ता?
एमपी की दावेदारी में एक अड़चन यह भी है कि इस बार बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं है. बहुमत एनडीए को है और एनडीए के घटक दलों की सरकार में भागीदारी बढ़ेगी. इसकी वजह से मध्य प्रदेश की दावेदारी कमजोर हो सकती है. इसीलिए दूसरा पहलू ये भी है कि कई पुराने मंत्रियों का पत्ता कट सकता है.
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