शिवराज सिंह चौहान और दिग्विजय सिंह दोनों के सामने है ये बड़ी चुनौती, किस बात का दोनों पूर्व सीएम को सता रहा डर

एमपी तक

03 May 2024 (अपडेटेड: May 3 2024 1:14 PM)

शिवराज सिंह चौहान 18 साल तक और दिग्विजय सिंह 10 साल तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. दोनों ही अपनी-अपनी पार्टी के कद्दावर लीडर है. दोनों दिग्गजों के लिए ये चुनाव भी करो या मरो का बन चुका है. लेकिन इसके साथ ही दोनों को एक डर समान रूप से सता रहा है.

Shivraj Singh Chauhan, Digvijay Singh

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Lok Sabha Election 2024: शिवराज सिंह चौहान 18 साल तक और दिग्विजय सिंह 10 साल तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. दोनों ही अपनी-अपनी पार्टी के कद्दावर लीडर है. दोनों दिग्गजों के लिए ये चुनाव भी करो या मरो का बन चुका है. लेकिन इसके साथ ही दोनों को एक डर समान रूप से सता रहा है. वह डर है वोटिंग प्रतिशत कम होने का. क्योंकि यदि वोटिंग प्रतिशत कम रही तो इसका नुकसान दोनों ही नेताओं को अपनी-अपनी सीट पर होगा.

अब तक पहले दो चरण में जितनी भी सीटों पर मतदान हुआ है, उनमें 8 से 10 प्रतिशत तक कम वोटिंग होने की खबरें सामने आई हैं. इसकी वजह से कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों के चिंता काफी बढ़ गई है. कम वोटिंग साफ इशारा कर रही है कि मतदाताओं को न ही बीजेपी और न ही कांग्रेस से बहुत ज्यादा कोई उम्मीदें हैं. जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बंपर वोटिंग हुई थी और वो वोटिंग पीएम नरेंद्र मोदी के लिए हुई थी. पुलवामा और बालाकोट के बाद लोगों ने बीजेपी को खुलकर समर्थन दिया था और मत प्रतिशत भी काफी ऊंचा था, जिसका सीधा लाभ बीजेपी को मिला था.

अब 7 मई को तीसरे फेज के लिए वोटिंग होनी है. वर्ष 2019 में विदिशा सीट पर करीब 71.29 प्रतिशत मतदान हुआ था. वहीं राजगढ़ सीट पर वर्ष 2019 में 73.77 प्रतिशत मतदान हुआ था. लेकिन पिछली बार विदिशा और राजगढ़ सीट से शिवराज सिंह चौहान और दिग्विजय सिंह चुनाव में नहीं उतरे थे. इसलिए दोनों ही दिग्गजों को डर है कि यदि उनकी सीटों पर भी कम मतदान हुआ तो न सिर्फ उनकी जीत-हार के परिणाम में फर्क आएगा बल्कि दोनों ही नेताओं की अपनी-अपनी पार्टी में पोजीशन भी कमजोर होगी.

दोनों नेताओं के सामने क्या है बड़ा चैलेंज

शिवराज सिंह चौहान को बीजेपी आलाकमान ने मध्यप्रदेश की राजनीति से दूर कर सेंट्रल में ले जाने का मन बनाया है. उम्मीद की जा रही है कि शिवराज सिंह चौहान को न सिर्फ अपनी विदिशा सीट बंपर वोटों से जीतनी है बल्कि बड़ी जीत का रिकॉर्ड बनाकर पीएम नरेंद्र मोदी के सामने खुद को केंद्र की राजनीति में किसी बड़े पद को डिजर्व करने वाली पोजीशन में भी दिखाना है. यह तभी संभव है, जब विदिशा सीट पर बंपर वोटिंग हो. लेकिन कम मतदान यहां भी हो गया तो फिर शिवराज सिंह चौहान भले ही चुनाव भी जीत लें, लेकिन बीजेपी आलाकमान के सामने उनकी पोजीशन अपर हैंड वाली नहीं रहेगी.

कुछ ऐसा ही हाल कांग्रेस में दिग्विजय सिंह का भी है. उनको भी राजगढ़ लोकसभा सीट अच्छे मतों से जीतकर देना होगी. राजगढ़ में दिग्विजय सिंह ने माहौल तो अच्छा बनाया है. कांग्रेस फाइट में भी नजर आ रही है लेकिन सिर्फ नजर आने से काम नहीं चलने वाला है. क्योंकि अमित शाह की जनसभा के बाद से बीजेपी भी यहां दिग्विजय सिंह को बराबर की फाइट देती नजर आ रही है. दिग्विजय सिंह जिस तरह से लोगों को उनका आखिरी चुनाव की भावुक अपील से खींचते नजर आ रहे हैं, यदि राजगढ़ सीट पर उसका असर नहीं हुआ और लोगों ने बंपर वोटिंग नहीं की तो फिर कांग्रेस व दिग्विजय सिंह के हाथ से राजगढ़ सीट जीतने का गोल्डन चांस फिसल सकता है.

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