MP Election 2023: मध्य प्रदेश में कौन बना रहा सरकार, BJP या कांग्रेस? एक्सपर्ट का बड़ा खुलासा

एमपी तक

13 Nov 2023 (अपडेटेड: Nov 13 2023 12:45 PM)

MP Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Chunav) की वोटिंग में महज कुछ ही दिन बाकी हैं. चुनाव से पहले अलग-अलग सर्वे और ओपिनियन पोल्स सामने आ रहे हैं, जिनमें भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) दोनों ही पार्टियों की सरकार बनने के दावे किए जा रहे हैं. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में किसकी सरकार […]

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MP Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Chunav) की वोटिंग में महज कुछ ही दिन बाकी हैं. चुनाव से पहले अलग-अलग सर्वे और ओपिनियन पोल्स सामने आ रहे हैं, जिनमें भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) दोनों ही पार्टियों की सरकार बनने के दावे किए जा रहे हैं. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में किसकी सरकार बनेगी और इसके पीछे क्या कारण हैं, आइए जानते हैं?

न्यूज तक के साप्ताहिक कार्यक्रम ‘साप्ताहिक सभा’ में सी-वोटर्स के संस्थापक यशवंत देशमुख ने मध्य प्रदेश समेत पांच राज्यों पर बात की. उनका कहना है कि राजनीति और चुनाव में फिक्स कुछ नहीं होता है, वोट पड़ने के दिन तक बहुत कुछ बदल जाता है. एक्सपर्ट देशमुख के मुताबिक शिवराज के खिलाफ कोई खास एंटी इंकमबैंसी नहीं है, फिर कांग्रेस को अगर बहुमत मिलता हुआ दिखाई दे रहा है तो इसे तीन पॉइंटर्स में समझते हैं.

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1. सीएम पॉपुलर, ये विचित्र स्थिति

देशमुख का कहना है, “शिवराज सिंह चौहान बहुत पॉपुलर हैं, उनके खिलाफ बहुत ज्यादा नाराजगी जैसा कुछ नहीं है. खासतौर से 20 साल सत्ता में रहने के बाद जो नाराजगी दिखनी चाहिए, वैसा तो दूर-दूर तक कुछ नहीं है. बीजेपी की सरकार के खिलाफ बहुत ज्यादा नाराजगी हो, बीजेपी के वोट बहुत ज्यादा गिर जा रहे हों ऐसा भी कुछ नहीं है. जब सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ गुस्सा न हो, वोट न गिरे, सीएम पॉपुलर हो, और फिर भी लगे कि सरकार नहीं बन रही है तो ये थोड़ी विचित्र स्थिति है. ये विचित्र स्थिति इसलिए है कि जनता में भलें ही नाराजगी न हो, लेकिन जनता में ऊब की भावना है. और इसको नापना बड़ा कठिन होता है. ऊब होने में ये नहीं होगा कि भाजपा का वोटर कांग्रेस को वोट करे, ऊब में ये होगा कि भाजपा के वोटर्स घर में बैठ जाएं. या जो नए वोटर हैं, वो कह रहे हों कि इस बार हमें कुछ नया आजमाना चाहिए.

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2. वोटर्स ने देखा एक ही शासनकाल

देशमुख के मुताबिक बीजेपी पिछले 20 साल से सत्ता में है. 20 साल में एक चौथाई नए वोटर्स ऐसे हो गए हैं, जिनको दिग्विजय सिंह के शासनकाल के बारे में कुछ पता ही नहीं है, वो उस वक्त पैदा भी नहीं हुए थे. ऐसे में आप सामने वाले की नेगेटिविटी दिखाकर वोट नहीं मांग सकते. वो जो एक चौथाई वोटर हैं, उन्होंने सिर्फ आपका ही शासनकाल देखा है. पंचायत लेवल से लेकर केंद्र के लेवल पर भी 10 सालों से देख रहे हैं. कोई भी कमी हुई है, किसी के भी सिर पर वो ठीकरा फोड़ नहीं सकते हैं. उसके बावजूद भी मुख्यमंत्री पॉपुलर हैं, सरकार के खिलाफ नाराजगी नहीं है, आप सत्ता की लड़ाई में दिखाई दे रहे हैं, तो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धी है.”

3. सरकार गिराने से हुआ नुकसान?

यशवंत देशमुख का कहना है, “पिछला जनादेश कांग्रेस के लिए था, बीजेपी ने सत्ता में आने के लिए कांग्रेस के अंदर फूट करवाई और ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने साथ लेकर गई. मेरा व्यक्तिगत मानना ये है कि बीजेपी का इस तरह से सत्ता हासिल करना बीजेपी के मतदाता को भी पसंद नहीं आया. बीजेपी अगर सरकार नहीं गिराती, वो सरकार चलती रहती तो इस समय इतनी मेजर एंटी इंकमबैंसी कांग्रेस की सरकार के खिलाफ हो गई होती कि राजस्थान की तरह ही मध्य प्रदेश में भी बीजेपी आसानी से सत्ता की राह पर होती.”

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पब्लिक ओपिनियन में 10 पर्सेंट का गैप

यशवंत देशमुख का कहना है, “हम पिछले एक साल से ट्रैक कर रहे हैं, कांग्रेस एक बढ़त में है, बीजेपी थोड़ा पीछे है. बीच-बीच में बीजेपी आगे आती है, फिर पीछे चली जाती है. पब्लिक परसेप्शन भी लार्जली यही है कि कांग्रेस सत्ता में आएगी. हम पूछते हैं कि आप किसी को भी वोट दीजिए, उससे फर्क नहीं पड़ता, ये बताइए कि जीत कौन रहा है. उसमें तकरीबन 10 पर्सेंट का गैप है, जो पब्लिक सोचती है कि कौन जीत रहा है.

समस्या ये है कि जो सत्ताधारी पार्टी है उसके वोट बुरी तरह गिरने चाहिए, या सत्ताधारी पार्टी के जो मुख्यमंत्री हैं उनके खिलाफ जबरदस्त माहौल होना चाहिए, या सत्ताधारी पार्टी के कामकाज से लोगों में जबरदस्त नाराजगी होनी चाहिए. दिक्कत ये है कि मध्य प्रदेश में ये तीनों ही चीजें नहीं है.

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