Modi Cabinet 3.0: मोदी मंत्रिमंडल में MP से 5 मंत्री, आदिवासी-ओबीसी चेहरों को मौका, सवर्ण को क्यों नहीं मिली जगह?

एमपी तक

10 Jun 2024 (अपडेटेड: Jun 10 2024 3:29 PM)

PM Modi Cabinet : लोकसभा चुनावों के नतीजे के बाद अब 18वीं लोकसभा के गठन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. 10 June को पीएम मोदी समेत उनके कैबिनेट मिनिस्टर्स ने राष्ट्रपति भवन में शपथ ली. मोदी कैबिनेट में शामिल मंत्रियों ने भी पद एवं गोपनीयता की शपथ ली.

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PM Modi Cabinet Shapath Grahan : लोकसभा चुनावों के नतीजे के बाद अब 18वीं लोकसभा के गठन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.  10 June को पीएम मोदी समेत उनके कैबिनेट मिनिस्टर्स ने राष्ट्रपति भवन में शपथ ली. मोदी कैबिनेट में शामिल मंत्रियों ने भी पद एवं गोपनीयता की शपथ ली, जिसमें कुल 71 मंत्री शामिल थे. इनमें 30 कैबिनेट, पांच स्वतंत्र प्रभार और 36 राज्य मंत्री हैं. इस समारोह में मध्य प्रदेश के 5 मंत्रियों ने भी शपथ ली ली हैं. मोदी मंत्रिमंडल में जातिगत समीकरणों को साधने की भी कोशिश की गई है, लेकिन मध्य प्रदेश से एक भी सवर्ण चेहरे को कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है, जिसके बाद ये चर्चा का विषय बन गया है. 

इस लोकसभा चुनाव में  मध्यप्रदेश में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया है और 29-0 से जीत दर्ज की है. भाजपा के शानदार प्रदर्शन के बाद MP से शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सावित्री ठाकुर, वीरेंद्र खटीक और दुर्गादास उईके को मोदी मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. हालांकि इन पांचो में कोई भी मंत्री सवर्ण कैटेगरी से नहीं है, जिसके बाद ये सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है. 

1. शिवराज सिंह चौहान 

शिवराज सिंह चौहान को उनके लंबे समय से चले आ रही लोकप्रियता और उनके परिश्रम का रिवार्ड मिल गया हैं. शिवराज ने पहली बार केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ ली. इससे पहले शिवराज 4 बार मुख्यमंत्री, 8 बार सांसद रह चुके हैं. शिवराज ने इस बार विदिशा में 8 लाख 21 हजार वोटों से जीतकर भाजपा आलाकमान को उनकी लोकप्रियता का एक संदेश दिया. शिवराज सिंह चौहान भाजपा के OBC चेहरे हैं. 

2. ज्योतिरादित्य सिंधिया 

ग्वालियर के चर्चित नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कैबिनेट में दूसरी बार शपथ ली है. इससे पहले 2020 में उन्हें कांग्रेस छोड़ने के बाद मोदी कैबिनेट में जगह दी गयी थी. सिंधिया पिछले कार्यकाल के दौरान वे नागरिक उड्डयन मंत्री थे. इस बार उनको कौनसा मंत्रालय मिलेगा, इसके कयास निरंतर लगाए जा रहे हैं. सिंधिया भी OBC कैटेगरी में आते हैं.

3. वीरेंद्र खटीक

वीरेंद्र खटीक टीकमगढ़ लोकसभा से जीत हासिल करते हुए केंद्रीय मंत्री बनाये गए हैं. खटीक 1996 से लेकर 2009 तक लगातार सागर लोक सभा सीट से चुने गए हैं. फिर टीकमगढ़ सीट के अस्तित्व में आने के बाद से वहीं कार्यरत हैं. वह सितंबर 2017 में मोदी सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में केंद्रीय राज्य मंत्री बने थे. वीरेंद्र कुमार 17वीं लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर चुने गए थे. उन्‍होंने ही प्राइम मिनिस्‍टर नरेंद्र मोदी को सांसद पद की शपथ दिलाई थी. वीरेंद्र खटीक भाजपा के एक दलित नेता हैं.

4. सावित्री ठाकुर 

धार लोकसभा सीट से सांसद चुनी गयी सावित्री ठाकुर को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. सावित्री ठाकुर मध्य प्रदेश से इकलौती महिला सांसद हैं, जिन्हें मंत्री बनाया गया है. भाजपा ने धार लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद छतर सिंह दरबार का टिकट काटकर सावित्री ठाकुर को चुनाव मैदान में उतारा था. सावित्री ठाकुर ने धार से बीजेपी को प्रचंड बहुमत दिलाया और जीत हासिल की, जिसका रिवॉर्ड उन्हें मिल गया है. सावित्री ठाकुर एक आदिवासी लीडर हैं.

5. दुर्गादास उईके

दुर्गादास उईके ने बैतूल लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रामू टेकाम को 3 लाख 79 हजार 761 वोटों से हराकर जीत दर्ज की. उईके को इस जीत के बाद प्रमोशन मिल गया हैं. उइके पॉलिटिक्स  में कदम रखने से पहले सरकारी शिक्षक के रूप में कार्यरत थे. इससे पहले उइके जनपद दफ्तर में प्रशासनिक और मध्य प्रदेश पुलिस में सिपाही भी रह चुके थे. दुर्गादास उईके एक आदिवासी नेता हैं.

 

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2019 में क्या हुआ था? 

अगर 2019 की मोदी कैबिनेट की बात करें तो इसमें नरेंद्र सिंह तोमर के रूप में एक सवर्ण चेहरा मध्य प्रदेश के कोटे से मोदी कैबिनेट में शामिल हुआ था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. बता दें कि नरेंद्र सिंह तोमर ने विधानसभा चुनाव लड़ा था और फिलहाल वह मध्य प्रदेश विधानसभा में स्पीकर के पद पर पदस्थ हैं. ऐसे में इस बार पिछली बार की तरह ही मोदी कैबिनेट में  पांच मंत्री तो हैं, लेकिन कोई भी सवर्ण चेहरा फिलहाल मोदी कैबिनेट का हिस्सा मध्य प्रदेश से नहीं हैं.

इसके कुछ कारण - 
1) OBC/आदिवासी /दलित सीटो से प्रतिनिधित्व 
2) वोट बैंक और भविष्य की तैयारी 
3) बाकी राज्यों में कई सवर्ण नेताओं को मिला मंत्री पद 

 

एमपी तक के लिए वरुल चतुर्वेदी की रिपोर्ट

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