7 बार से विधायक गोविंद सिंह का क्या यह आखिरी चुनाव है या सिंपैथी वोट के लिए अपना रहे हैं ये हथकंडा?

मध्य प्रदेश में चुनावी माहौल धीरे-धीरे गर्मा रहा है, और चुनाव मैदान में खड़े हुए प्रत्याशी अलग-अलग तरीके से अपनी विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं.

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Mp Election 2023: मध्य प्रदेश में चुनावी माहौल धीरे-धीरे गर्मा रहा है, और चुनाव मैदान में खड़े हुए प्रत्याशी अलग-अलग तरीके से अपनी विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं. इसी बीच भिंड जिले की दो विधानसभा के तीन प्रत्याशी कुछ अलग ढंग से ही मतदाताओं से सिंपैथी वोट बटोरने के प्रयास कर रहे हैं. यह तीनों प्रत्याशी मतदाताओं के बीच पहुंचकर इस बात का ऐलान बार-बार कर रहे हैं कि यह उनका आखिरी चुनाव है और इस बार अपना कीमती वोट देकर उन्हें जिताकर विधानसभा में पहुंचा दें जिससे उनका आखिरी चुनाव में विजई हो सके.

इस तरह का ऐलान लहार विधानसभा सीट से सात बार के विधायक और वर्तमान में मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह द्वारा अपने समर्थकों पर मतदाताओं के बीच बार-बार किया जा रहा है. नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह अपने समर्थकों और मतदाताओं से कह चुके हैं कि यह उनका आखिरी चुनाव है किसी भी तरह इस बार उन्हें जीत दिलवा दें, इसके बाद वे चुनाव नहीं लड़ेंगे.

चुनाव हारने का डर या फिर कुछ और?

गोविंद सिंह की तरह ही बीजेपी से बगावत करके बीएसपी के टिकट पर लहार विधानसभा से चुनाव लड़ रहे रसाल सिंह भी मतदाताओं के बीच पहुंचकर कर रहे हैं. रसाल सिंह रौन विधानसभा से चार बार विधायक रह चुके हैं और बीते दो बार से भी लहार विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन वे दोनों बार चुनाव हार गए. इस बार के चुनाव में बीजेपी ने उनका टिकट काटकर अंबरीश शर्मा को चुनाव मैदान में उतार दिया. इस वजह से रसाल सिंह बीजेपी से बगावत करके बीएसपी में शामिल हो गए और अब जनता के बीच पहुंचकर इस बात का ऐलान कर रहे हैं कि यह उनका आखिरी चुनाव है, इस चुनाव के बाद वे चुनाव नहीं लड़ेंगे इसलिए उन्हें वोट देकर उन्हें जीत दिलाएं.

बगावत के बाद बदले राकेश के सुर

भिंड विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी राकेश चौधरी के साथ भी इस तरह का मामला सामने आ रहा है. कांग्रेस प्रत्याशी राकेश चौधरी भिंड विधानसभा से अब तक सात बार चुनाव लड़ चुके हैं. इस दौरान वे चार बार चुनाव जीते भी हैं और दिग्विजय सरकार में मंत्री भी रह चुके है. साल 2013 से पहले राकेश चौधरी ने कांग्रेस से बगावत करके बीजेपी का दामन थाम लिया था. साल 2018 में बीजेपी ने राकेश चौधरी को भिंड विधानसभा से चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन वह बुरी तरह चुनाव हार गए थे. इसके बाद राकेश चौधरी ने बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस में वापसी कर ली.

इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें भिंड विधानसभा सीट से टिकट देकर मैदान में उतार दिया है. राकेश चौधरी भिंड विधानसभा में जहां भी प्रचार करने जा रहे हैं. वह अपने समर्थक और मतदाताओं से कह रहे हैं कि यह उनका आखिरी चुनाव है इसलिए उन्हें वोट देकर जरूर जिता दें.

इस तरह कांग्रेस के दो प्रत्याशी और बीएसपी का एक प्रत्याशी खुद का चुनाव आखिरी चुनाव बात कर मतदाताओं के बीच सिंपैथी वोट बताने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि मतदाताओं में इन तीनों प्रत्याशियों की प्रति सहानुभूति देखने को मिलती है या फिर मतदाता अपने हिसाब से मतदान करेगा.

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