आखिर प्रियंका गांधी को क्यों याद आ रही हैं झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, ग्वालियर से देंगी बड़ा संदेश?

MP Election 2023: झांसी की रानी लक्ष्मीबाई 1857 में अंग्रेजों से लड़ते हुए ग्वालियर में शहीद हो गई थीं और वहीं उनकी समाधि भी बनी. उसी समाधि स्थल के इर्द-गिर्द हमेशा से ही ग्वालियर-चंबल की राजनीति घूमती रही है. मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही एक बार फिर से रानी लक्ष्मीबाई की समाधि […]

Priyanka Gandhi MP Congress Gwalior News MP Politics Rani Laxmibai

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MP Election 2023: झांसी की रानी लक्ष्मीबाई 1857 में अंग्रेजों से लड़ते हुए ग्वालियर में शहीद हो गई थीं और वहीं उनकी समाधि भी बनी. उसी समाधि स्थल के इर्द-गिर्द हमेशा से ही ग्वालियर-चंबल की राजनीति घूमती रही है. मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही एक बार फिर से रानी लक्ष्मीबाई की समाधि की चर्चा जोर-शोर से हो रही है.

दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके ही गढ़ में घेरने के मकसद से प्रियंका गांधी कल यानी शुक्रवार को ग्वालियर जाएंगी. यहां मेला ग्राउंड में एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगी. लेकिन इस जनसभा में जाने से पहले वे रानी लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पर मत्था टेकने जाएंगी और यहां से एक राजनीतिक संदेश देने की कोशिश करेंगी

राजनीति के जानकारों के अनुसार वे रानी लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पर पहुंचकर सिंधिया राजपरिवार पर निशाना लगाने की कोशिश करेंगी. सिंधिया राज परिवार पर 1857 की लड़ाई में रानी लक्ष्मीबाई का साथ न देने के आरोप लगते रहे हैं. इन्हीं आरोपों को लेकर बीजेपी खुद लंबे समय तक सिंधिया राज परिवार पर निशाना लगाती रही है.

बीजेपी के बड़े नेता जयभान सिंह पवैया तो लंबे समय से इसी समाधि स्थल पर वीरांगना बलिदान मेले का आयोजन करते रहे हैं और जब सिंधिया कांग्रेस में थे तो सिंधिया राज परिवार पर गद्दारी के आरोप लगाकर वे अपनी राजनीति चमकाते रहे हैं. लेकिन आज सिंधिया खुद बीजेपी में हैं तो यह आरोप अब कांग्रेस लगाने लगी है.

प्रियंका गांधी की ये है रणनीति
कांग्रेस बार-बार सिंधिया पर मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली चुनी हुई सरकार को गिराने और कांग्रेस के साथ गद्दारी करने के आरोप लगाती रही है.अपने इन आरोपों को एक राजनीतिक दिशा देने की कोशिश प्रियंका गांधी यहां कर रही हैं. इसलिए प्रियंका गांधी को समाधि स्थल पर ले जाने की रणनीति कांग्रेस ने तैयार की है. हालांकि जब से सिंधिया बीजेपी में आए हैं, वे खुद भी कई बार रानी लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पर जा चुके हैं और उनको नमन कर चुके हैं.

कुछ ऐसा है ग्वालियर-चंबल संभाग में सीटों का गणित
ग्वालियर-चंबल की राजनीति को समझने वाले बताते हैं कि यहां पर दलित वोटरों की संख्या 20 प्रतिशत है. दूसरे नंबर पर ओबीसी वोटर्स हैं. इन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ दिया था. इसी कारण कांग्रेस को ग्वालियर-चंबल संभाग से 26 सीटें मिली थीं और बीजेपी को सिर्फ 7 सीटों से संतोष करना पड़ा था.

हाल ही में आए सी वोटर के सर्वे में भी कांग्रेस को इस इलाके में 22 से 26 सीटे मिलने का अनुमान जताया गया और बीजेपी को 7 से 11 सीटें मिलने की संभावना जताई है. बीजेपी खुद ग्वालियर-चंबल संभाग में कई गुटों में बंटी हुई है. इन सभी फैक्टर्स के चलते कांग्रेस को लग रहा है कि प्रियंका गांधी को ग्वालियर लाकर एक बड़ी राजनीतिक बढ़त बनाई जा सकती है. कांग्रेस की ये रणनीति कितनी कारगत साबित होगी, यह तो आगामी विधानसभा चुनाव के परिणाम ही बताएंगे.

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