करारी हार के बाद गोविंद सिंह ने लिया राजनीति से संन्यास, उत्तराधिकारी पर कही ये बड़ी बात

हेमंत शर्मा

18 Dec 2023 (अपडेटेड: Dec 18 2023 10:15 AM)

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है. इसी के साथ ही कई दिग्गज भी इस चुनाव में अपनी सीट गंवा चुके हैं. इन्हीं में से सात बार लगातार चुनाव जीतने के बाद मिली करारी हार से आहत होकर कांग्रेस के दिग्गज नेता डॉक्टर गोविंद सिंह ने अब विधायक का चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया है.

Govind Singh took retirement, announced in the meeting, 7 times MLA, Lahar seat, Chambal News

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Govind Singh Lahar: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है. इसी के साथ ही कई दिग्गज भी इस चुनाव में अपनी सीट गंवा चुके हैं. इन्हीं में से सात बार लगातार चुनाव जीतने के बाद मिली करारी हार से आहत होकर कांग्रेस के दिग्गज नेता डॉक्टर गोविंद सिंह ने अब विधायक का चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया है. अपने 6000 से ज्यादा समर्थकों के बीच पहुंचकर डॉक्टर गोविंद सिंह द्वारा इस बात की घोषणा की है.

इसके साथ ही डॉक्टर गोविंद सिंह ने दो टूक कह दिया है कि उनके समर्थक जिस नए चेहरे को अपना नेता चुन लेंगे वह भी उसी के साथ हो जाएंगे. इस दौरान उन्होंने मंच से संबोधन में EVM पर सवाल खड़े करते हुए ईवीएम में गड़बड़ी होने का दावा किया और अमित शाह द्वारा दो तिहाई बहुमत हासिल करने के दावे पर भी सवाल खड़े किए हैं.

दरअसल बीते सात बार से लहार विधानसभा से लगातार जीत दर्ज करते आ रहे डॉक्टर गोविंद सिंह इस बार भाजपा प्रत्याशी अंबरीश शर्मा से बुरी तरह हार गए. एक बार की हार ने ही डॉक्टर गोविंद सिंह को इतना तोड़कर रख दिया है कि उन्होंने अब विधायिकी का चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया है. इसके लिए बाकायदा रविवार को लहार में डॉक्टर गोविंद सिंह ने अपने हजारों समर्थकों को आमंत्रित किया और समर्थकों के एकत्रित हो जाने पर डॉक्टर गोविंद सिंह मंच पर पहुंचे. यहां उन्होंने अपने समर्थकों के बीच इस बात का ऐलान कर दिया कि वह अब कभी विधायक का चुनाव नहीं लड़ेगे.

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गलती की सजा जनता ने दी- गोविंद

डॉक्टर गोविंद सिंह ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि उनसे कोई गलती हुई होगी. इस वजह से लहार की जनता ने उन्हें यह सजा दी है. उन्होंने हार की इस सजा को सहज ही स्वीकार करने की बात भी कही है. उन्होंने कहा कि उनके समर्थकों ने उन्हें सात बार जिताया है, तीन बार मंत्री रहे एक बार नेता प्रतिपक्ष भी रह लिए लेकिन अब इस हार के बाद में कभी विधायकी का चुनाव नहीं लड़ेगे. डॉक्टर गोविंद सिंह ने कहा कि उनके कुछ समर्थक लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कह रहे हैं लेकिन उन्होंने कहा कि उनके पास इतने पैसे नहीं कि वे लोकसभा चुनाव लड़ सकें और न ही उनमें अब इतना सामर्थ है.

गोविंद सिंह ने EVM पर लगाए कई आरोप

इस दौरान डॉक्टर गोविंद सिंह ने ईवीएम पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि ईवीएम की गड़बड़ी की वजह से बीजेपी चुनाव जीतती आ रही है. उन्होंने कहा कि अमित शाह ने पहले ही दो तिहाई बहुमत का ऐलान कर दिया था और ऐसा ही परिणाम निकलकर सामने आया है. उन्होंने कहा कि अमित शाह ने 160 सीट जीतने का दावा किया था और वह 163 सीट जीत गए, कुल मिलाकर ईवीएम में गड़बड़ी करके बीजेपी चुनाव जीत रही है.

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समर्थकों से कहा- दूसरा चेहरा तलाश लें

अपने समर्थकों का मनोबल बढ़ाने के लिए डॉक्टर गोविंद सिंह ने कहा कि वह वही पुराने वाले डॉक्टर गोविंद सिंह हैं जो हमेशा अन्याय के लिए लड़ाई लड़ा करते थे, उनके समर्थकों पर अन्याय होगा तो वे उनके अन्याय की लड़ाई जरूर लड़ेगे. इसके साथ ही उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि अब वह लहार विधानसभा के लिए कांग्रेस से कोई नया चेहरा चुन लें, जो चेहरा उनके समर्थक चुनेंगे वह भी उसके साथ ही खड़े हो जाएंगे.

परिवार में फंसे गोविंद सिंह

हम आपको बता दें कि डॉक्टर गोविंद सिंह के बेटे अमित सिंह और डॉक्टर गोविंद सिंह के भतीजे अनिरुद्ध सिंह लगातार लहार विधानसभा में सक्रिय हैं, लेकिन बेटे और भतीजे में से किसी एक को चुनना डॉक्टर गोविंद सिंह के लिए काफी मुश्किल साबित हो रहा है. इसलिए उन्होंने अब यह फैसला अपने समर्थकों पर ही छोड़ दिया है. अब देखने वाली बात होगी कि मंच से डॉक्टर गोविंद सिंह द्वारा अपने समर्थकों को दिए गए संदेश के बाद लहार विधानसभा के कांग्रेस कार्यकर्ता डॉ गोविंद सिंह के बेटे और भतीजे में से किसे अपने अगले नेता के रूप में चुनते है.

कौन हैं गोविंद सिंह

कांग्रेस के इस दिग्गज नेता ने राजनीति एकदम जमीन से शुरू की. उन्होंने अस्सी के दशक में लहार नगर पालिका में पार्षद का चुनाव लड़ा और जीता. इसके बाद वे नगर पालिका अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए. उन्होंने शुरुआती असफलताओं के बीच साल 1990 में पहली बार विधानसभा में कदम रखा जब उन्होंने भगवा लहर होने के बाबजूद भाजपा के तत्कालीन विधायक मथुरा प्रसाद महंत को हरा दिया. इसके बाद डॉ सिंह ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

1990 में चुनी गई सुंदर लाल पटवा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को 1992 रामजन्मभूमि मामले को लेकर हुए दंगों के बाद बर्खास्त कर दिया गया. तब पहली बार विधानसभा पहुंचे डॉ गोविंद सिंह इस बीच कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के संपर्क में आये जो उन्हें लेकर कांग्रेस में गए. गोविंद सिंह ने 1993 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते. उन्हें बाद में दिग्विजय मंत्रिमंडल में स्थान भी मिला और 2018 में कमलनाथ सरकार में भी उनको केबिनेट मंत्री बनाया गया था. वे 2020 में कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाये गए .लेकिन 2023 के इस विधानसभा चुनाव में उनका किला ढह गया।

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