mp election 2023: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक बार फिर से मध्यप्रदेश में आ रहे हैं. एक महीने में यह उनका तीसरा दौरा होगा. अमित शाह 30 जुलाई को पहले भोपाल पहुंचेंगे और फिर यहां से सीधे इंदौर जाएंगे जहां वे बीजेपी के सांसद, विधायकों और संगठन के 100 बड़े नेताओं के साथ एक बैठक करेंगे. जहां पर मालवा-निमाड़ को जीतने की रणनीति तैयार की जाएगी.
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ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा होता है कि मालवा-निमाड़ पर बीजेपी का इतना फोकस क्यों हैं. इसे समझने के लिए पहले मालवा-निमाड़ की सीटों का गणित समझना होगा. दरअसल मालवा-निमाड़ में कुल 66 सीटें आती हैं, जिसमें से 22 सीटे तो आदिवासी वर्ग के लिए ही आरक्षित की गई हैं. 2018 के विधानसभा चुनावों में मालवा-निमाड़ की 66 सीटों में से कांग्रेस ने 35 सीटों पर दर्ज की थी और बीजेपी को यहां सिर्फ 28 सीटें ही मिली थीं.
लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में पिक्चर बिल्कुल उलट थी .बीजेपी को यहां से 57 सीटें मिली थीं और कांग्रेस के खाते में सिर्फ 9 सीटें आईं थीं. 2013 के इस चुनाव की दिलचस्प बात यह थी कि आदिवासी वर्ग के लिए जो 22 सीटें यहां आरक्षित हैं, उनमें से 16 सीटे बीजेपी जीतने में सफल रही थी. ये आंकड़े साफ बताते हैं कि मालवा-निमाड़ में आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका में रहा है.
ग्वालियर-चंबल की भरपाई मालवा-निमाड़ से करने की हो रही तैयारी?
राजनीति के जानकारों के अनुसार यहां बीजेपी की जो रणनीति निकलकर सामने आ रही है, उसके अनुसार ग्वालियर-चंबल संभाग में बीजेपी के लिए जो मुश्किलें खड़ी हुई थीं, उसका पूर्ति अगर किसी इलाके से हो सकती है तो वह मालवा-निमाड़ का ही इलाका है.
यही वजह है कि बीजेपी के सभी दिग्गज नेता बार-बार मालवा-निमाड़ के दौरे पर जा रहे हैं और यहीं कारण है कि एक बार फिर से बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की टीम में कैलाश विजयवर्गीय को राष्ट्रीय महामंत्री बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. ग्वालियर-चंबल संभाग को लेकर जो भी ओपिनियन पोल सामने आए हैं, उसमें बीजेपी को नुकसान ही बताया गया है. ऐसे में देखना होगा कि मालवा-निमाड़ का इलाका क्या बीजेपी के लिए संजीवनी बूटी साबित होगा.
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