चंबल में कांग्रेस का सबसे बड़ा लीडर चुनाव हार गया, किसी ने नहीं की थी इनके हारने की कल्पना

शिवपुरी विधानसभा सीट पर बड़ा खेल हो गया है. कांग्रेस का बड़ा लीडर जो समीकरण लगाकर शिवपुरी आए थे, वे चुनाव हार गए हैं. लंबे समय तक जीतने वाले ये उम्मीदवार चुनाव हार गए हैं.

Congress MLA k p singh controversial statement regarding women said Those whose husbands are old

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MP Election Result 2023: ग्वालियर-चंबल के इलाके से सबसे बड़ी खबर सामने आ गई है. ग्वालियर-चंबल की सबसे चर्चित सीट शिवपुरी विधानसभा पर कांग्रेस प्रत्याशी केपी सिंह चुनाव हार गए हैं. ये हार ऐतिहासिक हार है, क्योंकि वे पिछले 30 साल से चुनाव जीत रहे थे. लगातार वे 6 बार से अधिक के चुनाव जीतते आ रहे थे लेकिन केपी सिंह जैसे कद्दावर कांग्रेस नेता चुनाव हार गए हैं.

केपी सिंह को बीजेपी प्रत्याशी प्रत्याशी देवेंद्र जैन ने चुनाव हरा दिया है जिनको केपी सिंह के सामने कमजोर माना जा रहा था लेकिन बीजेपी की आंधी में देवेंद्र जैन ने कांग्रेस के केपी सिंह पर बड़ी जीत दर्ज कर दी है. केपी सिंह की हार ने कांग्रेस के अंदर गलत प्लानिंग को भी सामने रख दिया है.

आपको बता दें कि केपी सिंह हमेंशा से ही पिछोर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते आ रहे थे लेकिन इस बार उन्होंने अपनी सीट छोड़ दी और उन्होंने शिवपुरी से चुनाव लड़ने कांग्रेस से टिकट हासिल कर लिया. इस बात का खासा विरोध हुआ था, क्योंकि शिवपुरी की कोलारस सीट से बीजेपी विधायक रहे वीरेंद्र रघुवंशी को कांग्रेस तोड़कर ले आई थी लेकिन बाद में उनको टिकट नहीं दिया. इसके पीछे वजह कहीं न कहीं केपी सिंह को ही माना गया था.

लेकिन अब केपी सिंह को पछताना पड़ रहा है कि उन्होंने ऐसा निर्णय क्यों लिया और क्यों अपनी ही पिछोर सीट को छोड़कर वे शिवपुरी सीट पर चले गए जहां से बीजेपी के उन देवेंद्र जैन ने चुनाव हरा दिया, जिनको इस चुनाव से पहले स्थानीय लोग भी ठीक से जानते नहीं थे लेकिन बीजेपी की लहर में देवेंद्र जैन की बड़ी जीत हो गई.

क्यों छोड़ दी थी केपी सिंह ने अपनी पिछोर सीट

दरअसल केपी सिंह पिछोर सीट पर 2013 से ही खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे थे. बीजेपी ने भी उनके सामने लगातार प्रीतम लोधी को अपना उम्मीदवार बनाया. पिछले दो चुनाव में केपी सिंह ने बीजेपी के प्रीतम लोधी को हराया जरूर लेकिन लगातार हार का मार्जिन कम होता गया. वहीं स्थानीय स्तर पर हुए परिसीमन के बाद पिछोर सीट पर लोधी वोट बढ़ गए थे, जिसके बाद केपी सिंह को पिछोर सीट पर अपनी हार का डर सताने लगा था. लेकिन पिछोर सीट छोड़कर शिवपुरी सीट पर जाना तो केपी सिंह के लिए आत्मघाती ही साबित हो गया और वे 30 साल बाद ऐतिहासिक रूप से चुनाव हार गए.

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