CM Mohan Yadav: मध्यप्रदेश के नए सीएम मोहन यादव को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने गंभीर आरोप लगाए हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जयराम रमेश की एक पोस्ट वायरल हो रही है. इस पर जयराम रमेश ने मध्यप्रदेश के अखबारों की पुरानी कटिंग जारी की है, जिसमें मोहन यादव पर जमीनों के लैंड यूज के साथ छेड़छाड़ करने जैसे गंभीर आरोप लगे थे. हालांकि इन आरोपों पर सीएम मोहन यादव ने उसी समय सफाई दी थी कि सभी आरोप गलत और निराधार हैं.
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लेकिन जयराम रमेश के पोस्ट करने के बाद से मोहन यादव का उज्जैन में चला जमीन विवाद फिर से चर्चाओं में आ गया है. जयराम रमेश ने एक्स पर जारी की पोस्ट में लिखा है कि ‘चुनाव परिणाम के आठ दिन बाद भाजपा ने मध्यप्रदेश के लिए मुख्यमंत्री चुना भी तो एक ऐसे व्यक्ति को जिस पर उज्जैन मास्टरप्लान में बडे पैमाने पर हेरफेर करने समेत कई गंभीर आरोप हैं’.
क्या है वो मामला, जिसे लेकर लगा आरोप
‘सिंहस्थ के लिए रिज़र्व 872 एकड़ ज़मीनों मे से उनकी ज़मीन को लैंड यूज़ बदलकर अलग किया गया. इनके कई वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हैं जिनमें यह गाली देते, धमकी देते और आपत्तिजनक बयान देते हुए दिख रहे हैं. क्या यह है मध्यप्रदेश के लिए ‘मोदी की गारंटी’?
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश के नए सीएम मोहन यादव पर सिंहस्थ के लिए रिजर्व 872 एकड़ जमीन में से 185 एकड़ जमीन का लैंड यूज मास्टर प्लान में चेंज कराने के आरोप हैं. ये जमीनें डॉ. मोहन यादव की फर्म, पत्नी सीमा यादव और बहनें कलावती और लीला बाई यादव के नाम पर दर्ज हैं. आरोप हैं कि अपनी पावर का इस्तेमाल कर पहले मास्टर प्लान टलवाया और जब मास्टर प्लान सामने आया तो उसमें खुद की 185 एकड़ जमीन का लैंड यूज कृषि से बदलकर आवासीय करा लिया. इस मामले की शिकायत एक कांग्रेस पार्षद रवि राय ने की है.
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जमीन विवाद पर पढ़ें एमपी के सीएम मोहन यादव का बयान
जब इस तरह की खबरें सामने आई थीं, तो उसी वक्त मीडिया को मोहन यादव ने बयान दिया था कि ‘सभी तरह के आरोप निराधार हैं. मास्टर प्लान शासन स्तर पर फाइनल हुआ है. इसमें पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया है. जिस जगह की बात की जा रही है, वह पार्किंग ऐरिया है. पार्किंग ऐरिया को सिंहस्थ क्षेत्र कहना गलत है. पार्किंग क्षेत्र तो बदलते रहते हैं. पड़ाव क्षेत्र में साधु-संतों के पंडाल, अखाड़े लगते हैं. दरअसल कुछ लोग चाहते हैं कि सिंहस्थ के नाम पर जमीन सुरक्षित करवा दो, फिर बाद में अवैध कॉलोनी काट दो. यह पिछले 30 सालों से उज्जैन में चल रहा है’.
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