कांग्रेस ने अपने इस जिलाध्यक्ष को हटाया, चुनाव में BJP के साथ मिलकर किया था बड़ा खेला!

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों में जमकर बगावत हुई है. अब ऐसे बागियों को दोनों ही पार्टियां सबक सिखाना शुरू कर चुकी हैं. शुरूआत कांग्रेस पार्टी की ओर से हुई है.

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MP Election 2023: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों में जमकर बगावत हुई है. अब ऐसे बागियों को दोनों ही पार्टियां सबक सिखाना शुरू कर चुकी हैं. शुरूआत कांग्रेस पार्टी की ओर से हुई है. कांग्रेस ने अपने शाजापुर जिले के अध्यक्ष को हटा दिया है. कांग्रेस संगठन के आरोप हैं कि उनके शाजापुर जिलाध्यक्ष ने कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ काम किया और अपने समर्थकों को बीजेपी में ज्वॉइन कराकर पार्टी के साथ बगावत की.

कांग्रेस पार्टी की ओर से एक पत्र जारी किया गया है जिसमें उन्होंने शाजापुर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह बंटी को पद से हटाने का निर्णय सुनाया है और उसके पीछे कई गंभीर आरोप उन पर संगठन की ओर से लगाए गए हैं. पत्र में बताया गया है कि शाजापुर जिले की शुजालपुर विधानसभा से कांग्रेस से टिकट ना मिलने पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष योगेंद्र सिंह ने अपने समर्थकों को भाजपा ज्वॉइन कराई और कांग्रेस प्रत्याशी रामवीर सिंह सिकरवार के खिलाफ काम किया.

7 दिनों में मांंगा जवाब

कांग्रेस के संगठन प्रभारी ने जिले के कांग्रेस अध्यक्ष योगेंद्र सिंह बंटी बना को जिलाध्यक्ष पद से पद मुक्त कर दिया है. इसके पहले उनसे सात दिन में जवाब मांगा गया है. संतोषप्रद जवाब न होने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी. इस संबंध में कांग्रेस के संगठन प्रभारी राजीव सिंह ने एक पत्र भी जारी किया है, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

कांग्रेस ने ये लिखा है पत्र में

पत्र में उल्लेख किया गया है कि योगेंद्रसिंह बंटी बना ने अधिकृत कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में कार्य न करते हुए पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलग्न रहे हैं. साथ ही आरोप भी है कि उन्होंने अपने समर्थक कार्यकर्ताओं को भाजपा में प्रवेश कराकर पार्टी को नुकसान पहुंचाने का भी काम किया है.

राजीव सिंह ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि जिलाध्यक्ष योगेंद्र सिंह को एक जिम्मेदार पदाधिकारी होने के नाते जिले में समन्वय करते हुए काम करना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जिसके चलते उन्हें पदमुक्त किया गया है. साथ ही सात दिन में उनसे स्पष्टीकरण भी मांगा गया है. समयावधि में जवाब न देने की स्थिति में उन्हें अनुशासनात्मक कार्यवाही की भी चेतावनी दी गई है.

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