MP Elections 2023: मध्य प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीट में शुमार चाचौड़ा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के प्रत्याशी और दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह कठिन मुकाबले में फंसे हैं. 2018 में भले वह चुनाव जीत गए हों, लेकिन इस बार बीजेपी ने प्रियंका मीणा और आप ने बीजेपी से बगावत करने वाली ममता मीणा को टिकट देकर मैदान में उतार दिया है. अब उनके बड़े भाई दिग्विजय सिंह ने एक वीडियो जारी कर भाई के पक्ष में चुनाव जिताने की अपील की है.
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वीडियो में दिग्विजय सिंह ने बताया कि चाचौड़ा सीट से चुनाव जीतकर वे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. अब छोटे साहब यानि लक्ष्मण सिंह चाचौड़ा सीट से चुनावी मैदान में हैं. लक्ष्मण सिंह जमीनी नेता हैं जनता की सेवा करते हैं। लक्ष्मण सिंह ने चाचौड़ा को जिला बनाने की लड़ाई लड़ी. तत्कालीन कमलनाथ सरकार में चाचौड़ा को जिला बनाने की तैयारी भी कर ली गई थी और आदेश भी जारी कर दिया था, लेकिन सरकार गिर गई.
चाचौड़ा को जिला बनाना है तो ‘छोटे साहब’ को जिताएं
दिग्विजय सिंह ने कहा- “चाचौड़ा का अपना अलग इतिहास रहा है. लक्ष्मण सिंह स्पष्टवादी व्यक्ति हैं, गांव में गरीबों के बीच जाते हैं. कभी कुंए पर सो जाते हैं तो कभी गांव में। प्रदेश में सरकार बनानी है और चाचौड़ा को जिला बनाना है तो लक्ष्मण सिंह को चुनाव जिताएं कमलनाथ को जिताएं. सभी से प्रार्थना है कि 2023 के चुनाव में सरकार हमें बनानी है कांग्रेस की और चाचाैड़ा को जिला बनाना है तो छोटे साहब को सपोर्ट करें.”
बता दें कि 1993 के विधानसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह चाचौड़ा सीट से चुनाव लड़कर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. कांग्रेसी विधायक शिवनारायण मीना ने उनके लिए सीट खाली की थी. इस बार उनके भाई लक्ष्मण सिंह चाचौड़ा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. चाचौड़ा में कांग्रेस भाजपा के अलावा तीसरी आम आदमी पार्टी भी मैदान में है जो चुनाव को त्रिकोणीय बनाती है.
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जानें चाचौड़ा का राजनीतिक इतिहास
चाचौड़ा विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास पर गौर करें तो यह सीट 1951 से अस्तित्व में आई. इस सीट पर अमूमन कांग्रेस का ही कब्जा रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह 1994 में चाचौड़ा सीट से उपचुनाव में विधायक चुने गए और विधानसभा पहुंचे थे. फिर वह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. दिग्विजय सिंह के लिए तब के विधायक शिवनारायण मीणा ने यह सीट छोड़ दी थी. शिवनारायण मीणा चाचौड़ा सीट पर 4 बार (1993, 1998, 2003 और 2008) चुनाव जीत चुके हैं.
1990 में बीजेपी को इस सीट से पहली बार जीत मिली थी. इसके बाद 2013 के चुनाव में बीजेपी को जीत मिली. इस चुनाव में ममता मीणा ने कांग्रेस को जोर का झटका दिया था. ममता ने 4 बार के विधायक शिवनारायण मीणा को 34,901 वोटों के बड़े अंतर से चुनाव में पटखनी दी थी.
कितने वोटर, कितनी आबादी
2018 के चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच हुआ. कांग्रेस के लक्ष्मण सिंह को चुनाव में 81,908 वोट मिले तो बीजेपी की ममता मीणा के खाते में 72,111 वोट आए. रोमांचक मुकाबले में लक्ष्मण सिंह को 9,797 मतों के अंतर से जीत मिली. चुनाव में उतरे 8 प्रत्याशियों के बीच तीसरे नंबर पर नोटा रहा जिसके खाते में 2,569 वोट आए.
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