MP Election 2023: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की वोटिंग के लिए अब महज 15 दिन का समय शेष है. ऐसे में जहां इंदौर और उज्जैन संभाग के तहत 66 विधानसभा सीटों पर सियासी हलचल तेज हो गई है. प्रदेश की कुल 230 सीटों में से एक चौथाई से ज्यादा ये 66 सीटें इंदौर और उज्जैन संभाग के 15 जिलों में हैं. 66 में से 22 सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं. किसानों और आदिवासियों से भरे मालवा-निमाड़ में क्यों कांग्रेस और भाजपा को अपना राजनीतिक भविष्य के लिए मेहनत कर रही है. आखिर किसानों, आदिवासियों और व्यापारियों से भरे इस क्षेत्र में सियासी समीकरण क्या हैं.
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आपको बता दें मालवा-निमाड़ की 66 सीटों में से कांग्रेस ने 35 सीटों पर दर्ज की थी. भारतीय जनता पार्टी केवल 28 प्रत्याशी ही जीतकर विधानसभा पहुंचे सके थे. यही वो परिणाम था जिसने कांग्रेस के 15 साल का वनवास खत्म कर पार्टी को सत्ता की चाभी सौंपी थी. कांग्रेस के लिए यह परिणाम इसलिए भी उत्साहजनक थे, क्योंकि 2013 के विधानसभा चुनाव में स्थितियां बिल्कुल उलट थीं. भाजपा ने इस इलाके में एक तरफा जीत हासिल करते हुए 57 सीटों पर अपना झंडा बुलंद किया था. वहीं कांग्रेस को सिर्फ 9 सीटें ही हासिल हो सकी थीं.
हालांकि 2020 में सत्ता परिवर्तन के बाद मालवा-निमाड़ में सीटों के लिहाज से भाजपा के लिए फायदे वाला रहा. 66 सीटों में से अब भाजपा के पास 33 और कांग्रेस के पास 30 सीटें हैं. 3 निर्दलीय विधायक हैं. प्रदेश की 84 विधानसभा सीटों पर आदिवासियों की भूमिका निर्णायक है.
क्या कहते हैं ताजा सर्व?
एक दिन पहले जारी हुये Times now नवभारत के सर्वे की बात करे तो मालवा निमाड़ में बीजेपी को बड़ा नुकसान होता दिखाई दे रहा है. यहां बीजेपी को18-22 सीटें तो वहीं कांग्रेस को 43-47 सीटें मिलती नजर आ रही हैं.
मालवा का मिजाज ज्यादातर BJP के पक्ष में रहा है
मालवा-निमाड़ का पॉलिटिकल मिजाज बीजेपी के फेवर में रहा है. हालांकि पिछले चुनाव में जरूर भाजपा को वो सफलता नहीं मिली थी, इसलिए बीजेपी चाहती है कि परंपरागत रूप से जो एकाधिकार रहा है, वो कायम रहे और कांग्रेस ने जो सफलता पिछली बार हासिल कर ली थी. वो चाहती कि कांग्रेस की इस चुनाव में भी मालवा-निमाड़ उसके साथ रहे और उसी से सरकार बनाने का बहुमत उसे मिले.
दिग्गजों की नजर मालवा पर पहले से ही
दरअसल बीजेपी और कांग्रेस के लिए 230 सीटों वाली विधानसभा में से 66 सीटों वाला मालवा-निमाड़ बेहद जरूरी है. पिछले चुनाव में दोनो ही दलों के बीच महज चंद सीटों का ही अंतर था. ऐसे में उस अंतर को पाटने के लिए अमित शाह ने जहां इंदौर से कार्यकर्ताओं में जोश भरा तो राहुल गांधी ने भी भारत जोड़ो यात्रा एमपी के इसी हिस्से से निकाली थी. दरअसल दोनों ही दलों की नजर मालवा निमाड़ की 66 सीटों के साथ-साथ यहां की आदिवासी बाहुल्य 22 सीटों पर भी है. क्योंकि ये आदिवासी सीटें जिस भी राजनीतिक दल के पाले में आती है तो वहीं प्रदेश की राजनीतिक के शिखर पर बैठता है.
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