Madhya Pradesh Chunav: मध्य प्रदेश में चुनावों को देखते हुए कांग्रेस पूरी तैयारी कर रही है. मंगलवार को चुनाव से जुड़ी दो बड़ी कमेटियों का ऐलान किया गया, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ समेत सभी दिग्गज नेता शामिल हैं. पहली कमेटी है चुनाव अभियान कमेटी (Election campaign Committee) और दूसरी है इलेक्शन कमेटी (Election Committee) की घोषणा की है, जिसमें प्रदेश लगभग सभी दिग्गज नेता शामिल किए गए हैं. यहां कांग्रेस ने चुनाव अभियान कमेटी का प्रमुख कांतिलाल भूरिया को बनाया है, इसे कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है.
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इसके जरिए कांग्रेस मध्य प्रदेश (MP Congress) में बीजेपी के आदिवासी एजेंटे का काउंटर करेगी और आदिवासी वोटरों को साधने की कोशिश करेगी.
वरिष्ठ आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष कांग्रेस बनाकर भाजपा के आदिवासी एजेंडा (BJP Tribal Agenda) को काउंटर करेगी. पूर्व सीएम कमलनाथ (Kamalnath) ने आदिवासी नेता भूरिया का नाम आगे बढ़ाया है. इसके जरिए कांग्रेस आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों में से 30 विधानसभा सीटों पर कांतिलाल भूरिया सीधा असर डालेंगे. वहीं, प्रदेश चुनाव समिति के अध्यक्ष खुद कमलनाथ होंगे.
कांग्रेस के कोर आदिवासी वोट पर सेंध लगाने की कोशिश का काउंटर
मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी लगातार कांग्रेस के कोर आदिवासी वोट में सेंध लगाने की कोशिश कर रही थी. कांग्रेस में भूरिया को चुनाव अभियान समिति की कमान सौंपकर आदिवासी मतदाताओं को बड़ा संदेश दिया है. मध्य प्रदेश में 22% आदिवासी मतदाता हैं. शिवराज सरकार में मध्य प्रदेश में आदिवासियों पर देश में सबसे ज्यादा अत्याचार हो रहा है.
इन घटनाओं की चर्चा देशभर में
मध्य प्रदेश में हाल में आदिवासी युवक के चेहरे पर पेशाब करने का वीडियो वायरल हुआ था, जिसे कांग्रेस ने जोर शोर से उठाया था, सीधी पेशाब कांड की वजह से बीजेपी सरकार की देशभर में किरकिरी हुई. यह भी संदेश गया कि बीजेपी सरकार आदिवासी हितैषी नहीं है. इसके साथ ही नेमावर हत्याकांड, इंदौर में आदिवासी युवकों के साथ अत्याचार और नीमच में आदिवासी युवक को घसीट कर मार डालने जैसी घटनाओं से आदिवासी समुदाय भाजपा से नाराज है.
कौन हैं कांतिलाल भूरिया?
पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य और झाबुआ से विधायक हैं. वह मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे हैं. भूरिया 1998, 1999 और 2004 में मध्य प्रदेश के झाबुआ निर्वाचन क्षेत्र से और 2009 में रतलाम से लोकसभा के लिए चुने गए थे. वह 2014 का आम चुनाव रतलाम से हार गए लेकिन 2015 में उपचुनाव जीत गए. इसके बाद 2019 के आम चुनाव में फिर से हार गए, लेकिन बाद में 2019 में मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए, जब उन्होंने झाबुआ (विधानसभा क्षेत्र) में उपचुनाव जीता.
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