MP Election 2023: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों को देखते हुए तमाम राजनीतिक दलों का प्रचार-प्रसार अपने चरम पर है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी समेत बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गज मैदान में जुटे हुए हैं. बीजेपी ने इस बार चुनाव में अपने कई सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को मैदान में उतारा है. इसके अलावा शिवराज कैबिनेट के ज्यादातर मंत्री भी चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं. वहीं अगर चुनावी माहौल की बात करें तो पिछले विधानसभा चुनाव से इस चुनाव को ज्यादा टफ माना जा रहा है. कई मंत्रियों को सक्रियता और चुनाव प्रचार बढ़ाना पड़ रहा है. तो कई मंत्रियों को सीधी टक्कर मिल रही है.
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ऐसे में MP Tak ने वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई से जानने की कोशिश की, कौन-कौन सी सीटों पर बीजेपी के दिग्गज फंसे हुए हैं. भाजपा ने जिस तरह से सर्वे कराकर टिकट बांटे, ये बताता है कि भाजपा की स्थिति कुछ महीने पहले तक बहुत खराब थी. राज्य में चुनाव अमूमन सीएम के चेहरे के इर्द-गिर्द लड़ा जाता है. तभी उनको एक हजार, दो हजार रुपए महीने देने वाली स्कीम लेकर आना पड़ा.
गृहमंत्री को मिल रही कड़ी टक्कर
मध्यप्रदेश सरकार के गृहमंत्री और अक्सर अपनी बयानबाजी के कारण सुर्खियों में रहते हैं. नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ कांग्रेस ने राजेन्द्र भारती को मैदान में उतारा है. इसके पहले यहां से कांग्रेस ने अवधेश नायक को अपना प्रत्याशी बनाया था. जिसे बाद में बदल दिया गया. अब राजेंद्र भारती और अवधेश नायक एक साथ चुनावी प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं. अवधेश नायक के कारण नरोत्तम मिश्रा की मुश्किलें बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं. यही कारण है कि यहां मंत्री नरोत्तम मिश्रा को कड़ी टक्कर मिल रही है.
कृषि मंत्री बचा पाएंगे अपनी जमीन?
कृषि मंत्री कमल पटेल हरदा विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं. यहां से कांग्रेस ने रामकिशोर दोगने को टिकट दिया है. यहां के बीजेपी के बागी नेता सरेन्द्र जैन ने मुकाबले को रोचक बना दिया है. बीते दो दिन पहले कमल पटेल के खासमखास नेता ने बीजेपी को अलविदा कह दिया है, और कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया है. जिसके बाद से यहां चुनावी माहौल बदला नजर आ रहा है. यही कारण है कि अब इस विधानसभा सीट पर मुकाबला काफी रोचक हो गया है.
रामखेलावन पटेल बचा पाएंगे अपनी सीट?
अमरपाटन विधानसभा क्षेत्र से 2018 में भाजपा, 2013 में कांग्रेस, 2008 में भाजपा और 2003 के चुनाव में कांग्रेस ने अपना कब्जा जमाया था. यानी पिछले चार चुनावों के नतीजों पर नजर डालें, तो हर पांच साल में यहां के मतदाता अपना प्रतिनिधि बदल देते हैं. 2018 में इस सीट से भाजपा के रामखेलावन पटेल जीतकर प्रदेश सरकार में मंत्री बने थे. कांग्रेस ने यहां से दिग्गज नेता राजेन्द्र सिंह को टिकट दिया है. इस बार यहां दोनों के बीच रोचक मुकाबला है. सिंह दिग्विजय सरकार में उद्योग व वाणिज्य मंत्री रह चुके हैं, जबकि 2013 से 2018 तक वे विधानसभा उपाध्यक्ष के पद पर भी रहे हैं. यही कारण है कि यहां मंत्री रामखेलावन को कड़ी टक्कर मिल रही है.
सुरेज राजे का विरोध वोटिंग पर कितना असर करेगा?
शिवपुरी जिला इस समय राजनीतिक गतिविधियों के कारण चर्चाओं में बना हुआ है. यहां की पेाहरी विधानसभा सीट से सिंधिया समर्थक सुरेश धाकड़ को टिकट दिया गया है. धाकड़ 2020 में सिंधिया के साथ ही बीजेपी में शामिल हुए थे. कांग्रेस ने यहां से कैलाश कुशवाह को मैदान में उतारा है. धाकड़ की बात करें तो इनके खिलाफ क्षेत्र में कई बार नाराजगी और विरोध के मामले सामने आए हैं. जिसका असर अगर वोटिंग पर पड़ा तो परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं.
बिसाहूलाल का चल पाएगा इमोशनल कार्ड?
अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित अनूपपुर सीट पर बीजेपी ने बिसाहूलाल सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है. बिसाहूलाल तीन बार अनूपपुर से विधायक रह चुके हैं. बिसाहूलाल सिंधिया के साथ ही 2020 में बीजेपी में शामिल हुए थे. कांग्रेस ने पूर्व संयुक्त कलेक्टर रमेश सिंह को उतारा है. रमेश सिंह क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय हैं. वहीं, बिसाहूलाल सिंह ने इमोशनल कार्ड खेला है कि ये उनका आखिरी चुनाव है. आखिरी चुनाव के नाम पर ही बिसाहूलाल प्रचार-प्रसार कर रहे हैं, अब ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि बिसाहूलाल अपने किले को बचा पाने में सफल होते हैं, या फिर नहीं. मौजूदा हालातों की बात करें तो यहां कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है.
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