MP Election 2023: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 दिनों में तीसरी बार मध्यप्रदेश आ रहे हैं. इससे पहले वह 2 अक्टूबर को ग्वालियर के दौरे पर आए थे और वहां से उन्होंने 29 हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास किया था. आज (5 अक्टूबर) को जबलपुर में रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में 100 करोड़ रुपये से बनने वाले स्मारक व संग्रहालय का शिलान्यास करने के साथ ही देश के अलग-अलग शहरों से जुड़े 12 हजार 600 करोड़ के डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का भूमिपूजन और लोकार्पण करेंगे. मोदी दोपहर करीब 3.30 बजे जबलपुर पहुंचेंगे. आर्मी के गैरिसन ग्राउंड पर कार्यक्रम के बाद जनसभा को संबोधित करेंगे. वह यहां पर करीब 2 घंटे तक रहेंगे.
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मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने जातीय जनगणना का दांव चल दिया है. बीजेपी इसका काट ढूंढ रही है. इसलिए आदिवासी वोटर्स को मनाने में जुट गई है. सूबे में आदिवासी वोटरों की 22 फीसदी है. इसलिए बीजेपी लगातार आदिवासी नायकों को सम्मान देने के लिए कार्यक्रम करने में जुटी है. पीएम नरेंद्र मोदी जबलपुर में वीरांगना रानी दुर्गावती स्मारक की आधारशिला रखने के साथी उनके वंशज राजा शंकर शाह और कुमार रघुनाथ शाह म्यूजियम का भी लोकार्पण करेंगे. यह दोनों 1857 की क्रांति के वीर शहीद कहलाते हैं, अंग्रेजों ने जबलपुर में तोप के मुंह में बांधकर उड़ा दिया था.
मदनमहल पहाड़ी पर बनेगा स्मारक
कार्यक्रम के मुताबिक, प्रधानमंत्री मदन महल पहाड़ी पर 100 करोड़ की लागत से वीरांगना रानी दुर्गावती स्मारक व संग्रहालय बनाया जाएगा, पीएम इसका शिलान्यास करेंगे. संग्रहालय में महाकौशल की सांस्कृतिक विरासत की झलक दिखाई जाएगी. स्मारक और संग्रहालय की डिजाइन तैयार कर ली गई है. वीरांगना रानी दुर्गावती की अष्टधातु से बनी प्रतिमा लगाई जाएगी, जो 52 फीट ऊंची होगी. स्मारक एवं संग्रहालय में स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई लड़ने वाले आदिवासी योद्धाओं की शौर्य गाथा को भी चित्रित किया जाएगा. यहां ओपन थिएटर भी बनाया जाएगा.
कार्यक्रम में राज्यपाल मंगू भाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव और जबलपुर सांसद राकेश सिंह मंच पर मौजूद रहने की संभावना है.
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क्याें जरूरी है आदिवासियों का वोट पाना?
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही दिन बचे है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस ने उन 80 सीटों पर अपना फोकस बढ़ा दिया है, जहां आदिवासी वोटर ही जीत-हार का फैसला करते हैं. इनमें से 47 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं. दोनों ही दलों की चिंता की बड़ी वजह यह है कि आदिवासी समुदाय का रुझान फिलहाल बेहद नकारात्मक दिख रहा है. इसी के चलते बीजेपी ने अपने दोनों दिग्गज नेताओं पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को एक साथ आदिवासी वोटरों की पिच पर बैटिंग के लिए उतार दिया है. पिछले महीने जन आशीर्वाद यात्रा को हरी झंडी दिखाने गृहमंत्री अमित शाह मंडला आए थे. वहीं अब 5 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदिवासी बहुल महाकौशल अंचल के सबसे बड़े शहर जबलपुर में रैली करने जा रहे हैं.
चुनावी आंकड़ों की तस्वीर
कांग्रेस भी प्रियंका गांधी और राहुल गांधी को आदिवासी वोटर्स को साधने के लिए उतार रही है. जून में प्रियंका गांधी जबलपुर में एक रैली कर चुकी हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 47 सुरक्षित आदिवासी सीटों में से 31 कांग्रेस जीतने में सफल रही थी, जबकि बीजेपी को सिर्फ 16 सीटें ही मिली थीं. हालांकि, इससे पहले 2013 के चुनाव में बीजेपी ने 47 में से 30 सीटें जीती थीं. इसीलिए कांग्रेस आदिवासी वोटों पर अपनी पकड़ मजबूत रखना चाहती है, तो बीजेपी आदिवासियों को फिर से अपने साथ जोड़ने की हरसंभव कोशिश कर रही है.
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