Prabhat Jha passes away: प्रभात झा मध्यप्रदेश के ऐसे राजनेता थे, जिन्हें बीजेपी के अंदर और बीजेपी के बाहर यानी अन्य दलों में भी पसंद किया जाता था. एक समय बीजेपी के अंदर उनकी स्थिति इतनी मजबूत हो गई थी कि वे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री पद के भी दावेदार हो गए थे लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ, जिसके बाद बीजेपी में उनकी स्थिति धीरे-धीरे कमजोर होती चली गई.
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प्रभात झा का निधन शुक्रवार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में इलाज के दौरान हो गया. उन्होंने प्रात: 5 बजे अंतिम सांस ली. प्रभात झा मध्यप्रदेश के उन चुनिंदा राजनेताओं में से थे, जिनका प्रभाव बीजेपी के संगठन में लंबे समय तक काफी मजबूत रहा था. वे संघ की पसंद थे और आरएसएस के साथ उनके अच्छे संबंधों की वजह से बीजेपी के संगठन में हमेंशा ही उनकी स्थिति मजबूत बनी रही. ऐसा तब था, जब 18 साल मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रहे. उनकी आसमान छूने वाली लोकप्रियता के बावजूद प्रभात झा का कद संगठन में कभी कमजोर नहीं हुआ.
लेकिन वर्ष 2012 में जब व्यापमं और भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोपों से घिरी शिवराज सरकार बेहद संकट के दौर से गुजर रही थी और लग रहा था कि शिवराज सिंह चौहान की कभी भी सीएम पद से रवानगी हो सकती है, उस समय शिवराज सिंह चौहान के विकल्प के रूप में जो नाम सबसे आगे उभर रहा था, वह नाम था प्रभात झा. उस समय प्रभात झा मध्यप्रदेश में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी थे.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार उस समय 'प्रभात झा अपनी वापसी को लेकर बेफिक्र थे. उन पर संघ के प्रमुख पदाधिकारी सुरेश सोनी का वरदहस्त होना भी उन्हें दूसरा कार्यकाल दिलवाने की गारंटी जैसा था'. लेकिन बात बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के दूसरे कार्यकाल के मिलने से भी आगे बढ़ चुकी थी और अब उनको मध्यप्रदेश का अगला मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा चलने लगी थी और कोशिश की जा रही थी कि वर्ष 2013 का विधानसभा चुनाव बीजेपी प्रभात झा के नेतृत्व में ही लड़े.
फिर शिवराज सिंह चौहान ने चला मास्टर स्ट्रोक
प्रभात झा के तेजी से आगे बढ़ने की खबरों के बीच उस समय के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी बीजेपी के अंदर अपने सभी पत्तों काे फेंटना शुरू कर दिया. राजनीतिक विश्लेषक डाॅ.जगमोहन द्विवेदी बताते हैं कि बीजेपी तेजी से दो गुटो में बंट रही थी. एक गुट शिवराज सिंह चौहान का तो दूसरा गुट प्रभात झा का तैयार होने लगा था. प्रभात झा का प्रभाव 2012 तक मध्यप्रदेश में कुछ ऐसा था कि जिलों में तैनात किए जाने वाले कलेक्टर और एसपी एवं निगम-मंडलों के अध्यक्ष व चेयरमैन तक प्रभात झा की पसंद से तैनात होने लगे थे. ऐसे में उस समय के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ अपने मधुर संबंधों को गहराई से टटोला. तब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह थे जो आज केंद्र की मोदी सरकार में रक्षा मंत्री हैं.
फिर वर्ष 2012 में एक प्रेस कांफ्रेस होती है. 2013 विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुटी बीजेपी के अधिकतर नेता इस प्रेस कांफ्रेंस को रूटीन ब्रीफिंग ही समझ रहे थे. बीजेपी नेता कमल माखीजानी बताते हैं कि कुछ को खबर थी कि प्रभात झा के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर दूसरे कार्यकाल का ऐलान इस प्रेस कांफ्रेंस में हो सकता है.
प्रेस कांफ्रेंस में बीजेपी के तीन बड़े चेहरे मौजूद थे. सीएम शिवराज सिंह चौहान, तब के प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा और बीजेपी के कद्दावर नेता नरेंद्र सिंह तोमर. लेकिन इस प्रेस कांफ्रेंस में ऐलान होता है कि अब से मध्यप्रदेश में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष होंगे नरेंद्र सिंह तोमर. 2013 का विधानसभा चुनाव शिवराज सिंह चौहान और नरेंद्र सिंह तोमर की जोड़ी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा.
प्रभात झा ने फिर दिया था ये ऐतिहासिक विदाई भाषण
बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता बताते हैं कि प्रभात झा को प्रेस कांफ्रेंस होने तक नहीं पता था कि मध्यप्रदेश के अगले मुख्यमंत्री की कुर्सी तो दूर, वह प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी से भी बहुत दूर कर दिए जाएंगे. प्रेस कांफ्रेंस के इस ऐलान के दौरान प्रभात झा हैरान थे और उनके चेहरे की भाव-भंगिमा राजनीतिक शह-मात को साफ तौर पर बयां कर रही थीं.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार विदाई के मौके पर प्रभात झा ने ऐतिहासिक विदाई भाषण दिया. उन्होंने कहा, ''जिस तरह वाजपेयी जी ने पोखरण विस्फोट की भनक किसी को नहीं लगने दी, उसी तरह शिवराज सिंह चौहान ने नरेंद्र सिंह तोमर को अध्यक्ष बनाने के फैसले की खबर किसी को नहीं होने दी.''
इसके बाद ही प्रभात झा का कद बीजेपी में धीरे-धीरे कम होने लगा था. आम आदमी पार्टी के दिल्ली में उभरने के बाद एक बार प्रभात झा को दिल्ली में चुनाव की कमान भी दी गई लेकिन वे बीजेपी को दिल्ली में अपेक्षित सफलता नहीं दिला सके और उसके बाद बीजेपी में लंबे समय से साइडलाइन ही चल रहे थे. हालांकि बीजेपी ने उनको दो बार राज्यसभा भी भेजा था. लेकिन मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का सपना आखिरकार उनका पूरा नहीं हो सका और बीजेपी के अंदर प्रभात झा युग धीरे-धीरे समाप्त हो गया.
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