MP Election 2023: मध्यप्रदेश विधानसभा का चुनाव अब अपने चरम पर पहुंच चुका है. 17 नवंबर को वोटिंग होनी है और कांग्रेस व बीजेपी दोनों ने ही लगभग सभी सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है. इसमें सबसे अधिक चर्चा जिस सीट की इस समय हो रही है, वह है दिमनी विधानसभा सीट. दिमनी सीट पर बीजेपी ने अपने सबसे बड़े नेता केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को चुनावी मैदान में उतारा है. उनके सामने हैं कांग्रेस के मौजूदा विधायक रविंद्र सिंह तोमर.
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लेकिन ग्राउंड पर हालात दोनों ही प्रमुख उम्मीदवारों के लिए चुनौतीपूर्ण हैं, क्योंकि इनको चुनौती देने के लिए बसपा ने भी अपने पूर्व विधायक और इस सीट पर सबसे अधिक सक्रिय बलबीर दंडोतिया को मैदान में उतार दिया है. इस वजह से यहां पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.
जिस तरह के जातिगत समीकरण दिमनी सीट के है, उससे स्पष्ट है कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के लिए दिमनी विधानसभा सीट किसी अग्निपथ से कम नहीं है, जिस पर जीत दर्ज करने का उन पर अतिरिक्त दबाव भी है. क्योंकि दिमनी में बीजेपी ने उन्हें उतारकर ग्वालियर-चंबल की दूसरी सीटों को भी जिताने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर डाली है.
जानें दिमनी सीट पर कैसा है जातिगत समीकरण
दिमनी में सवा दो लाख की वोटिंग है, जिसमें सबसे अधिक संख्या तोमर मतदाताओं की है. तोमर वोटर यहां पर 60 हजार हैं. एससी वर्ग से आने वाले वोटरों की संख्या यहां पर 48 हजार है. ब्राह्मण वोटर यहां पर 30 हजार हैं. अन्य जातियों के भी यहां पर 90 हजार वोटर हैं.
दिमनी सीट पर होगा त्रिकोणीय मुकाबला
यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो जाने की वजह से दिमनी विधानसभा सीट बीजेपी के सबसे बड़े नेता नरेंद्र सिंह तोमर के लिए अग्निपथ बन चुकी है. यहां पर नरेंद्र सिंह तोमर के सामने कांग्रेस के उम्मीदवार रविंद्र सिंह तोमर ही अकेले चुनौती नहीं है बल्कि बसपा के उम्मीदवार बलवीर सिंह दंडोतिया भी एक बड़ी चुनौती बनकर सामने खड़े हैं. बलवीर इसी सीट पर बसपा से विधायक रह चुके हैं और लगातार वे इस सीट पर सक्रिय हैं.
ब्राह्मण वर्ग से आने की वजह से कई बार तीसरे विकल्प के रूप में ये बड़ी संख्या में वोट काटने की क्षमता भी रखते हैं. वहीं तोमर वोट तो निश्चित तौर पर बीजेपी के नरेंद्र सिंह तोमर और कांग्रेस के रविंद्र सिंह तोमर के बीच बंटेंगे. जाहिर है तोमर वोटरों की संख्या अधिक होने का लाभ बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ही नहीं मिलने वाला है, क्योंकि ये वोट तो बंट जाएंगे. ऐसे में एससी वर्ग के वोटरों और ब्राह्मण वोटरों को अधिक संख्या में लाने वाले उम्मीदवार ही दिमनी सीट पर अपनी जीत दर्ज करने में कामयाब हो पाएंगे.
कुछ ऐसा रहा है दिमनी विधानसभा सीट पर जीत-हार का गणित
2013 में यहां पर बसपा के बलवीर दंडोतिया ने चुनाव जीता था. 2018 में यहां पर कांग्रेस के गिर्राज दंडोतिया ने चुनाव जीता था. लेकिन वे बाद में सिंधिया गुट के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में चले गए थे. उसके बाद 2020 में हुए उपचुनाव में गिर्राज दंडोतिया बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन उनको कांग्रेस के रविंद्र सिंह तोमर ने हरा दिया था. इस प्रकार दिमनी सीट पर 2013 से ही बीजेपी को जीत नसीब नहीं हाे रही है. ऐसे में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के कंधों पर दिमनी सीट जीतकर देने का बड़ा दबाव पार्टी की तरफ से है.
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