MP Election: मध्यप्रदेश की सबसे चर्चित और हॉट सीट मानी जाने वाली ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट पर बीजेपी पशोपेश में हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में पूरे मध्यप्रदेश में सबसे कम मार्जिन से जिस सीट को बीजेपी ने हारा था, वह यही सीट है. मात्र 121 वोटों के अंतर से यह सीट बीजेपी कांग्रेस के प्रवीण पाठक से हार गई थी. जबकि यह सीट 2003 से लगातार 2018 तक यानी 15 साल तक बीजेपी के पास रही थी. लेकिन इस विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के लिए इस सीट पर मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं.
ADVERTISEMENT
इसकी वजह हैं 3 पूर्व मंत्री और 1 पूर्व महापौर जो इस सीट पर बीजेपी से टिकट मांग रहे हैं. ये पूर्व मंत्री हैं नारायण सिंह कुशवाहा, अनूप मिश्रा और जयभान सिंह पवैया. पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता भी टिकट की प्रबल दावेदार हैं. ये चारों ही बीजेपी के दिग्गज हैं और वर्तमान में इन सभी ने बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ा रखी हैं.
बात सबसे पहले नारायण सिंह कुशवाहा की. इनको बीजेपी ने 2003 से 2018 तक लगातार टिकट दिया. 2003 से लेकर 2013 तक के विधानसभा चुनाव ये जीते और हर बार इनको मंत्री बनाया गया. जेल और गृह राज्य मंत्री जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय इनके पास रहे. लेकिन इसके बाद जब ये 2018 का विधानसभा चुनाव हार गए तो अब इस बार भी टिकट लेने के लिए ताल ठोक रहे हैं.
साथ में पार्टी को चेतावनी भी दे रहे हैं कि यदि इनको टिकट नहीं मिला और पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता को टिकट दे दिया तो वे पार्टी के लिए काम नहीं करेंगे. बीते दिनों भोपाल में हुई कुशवाहा समाज की राष्ट्रीय बैठक में भी नारायण सिंह कुशवाहा ने बीजेपी से इस बात की नाराजगी जता दी थी कि सिर्फ बीजेपी के कुशवाहा समाज के नेताओं को मीटिंग में बुलाया गया है जबकि हर पार्टी के कुशवाहा समाज के नेताओं को बुलाना चाहिए था. कुल मिलाकर नारायण सिंह कुशवाहा लंबे समय से पार्टी के प्रति बगावती तेवर दिखाते आ रहे हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री के भांजे भी मैदान में
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा भी इसी सीट पर टिकट मांग रहे हैं. ब्राह्मण नेता के तौर पर वे इस सीट पर ताल ठोक रहे हैं. अनूप मिश्रा भी लंबे समय तक मध्यप्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं और इनके पास हेल्थ और जल संसाधन जैसे भारी-भरकम मंत्रालय रहे थे. अनूप मिश्रा को पार्टी मुरैना-श्योपुर से एक बार सांसद भी बना चुकी है. लेकिन वे ग्वालियर दक्षिण से इस बार पार्टी से टिकट चाह रहे हैं.
राम मंदिर आंदोलन का कभी चेहरा रहे ये पूर्व मंत्री भी टिकट की दौड़ में
कभी राम मंदिर आंदोलन का चेहरा रहे बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और मध्यप्रदेश सरकार के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया भी इसी सीट से टिकट के दावेदार हैं. जयभान सिंह पवैया को मध्यप्रदेश की राजनीति में सिंधिया और महल के प्रमुख विरोधी के रूप में जाना जाता है लेकिन सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद से इनको अपने तेवर ठंडे करने पड़े हैं, जिसके कारण अंदर ही अंदर जयभान सिंह पवैया भी अब अपनी खोती राजनीतिक जमीन को फिर से पाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं.
पूर्व महापौर ने बगावत कर बीजेपी को हरा दिया था चुनाव, ये भी टिकट की दौड़ में
ग्वालियर की पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता ने 2018 में पार्टी से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ा और 50 हजार से अधिक वोट लाकर बीजेपी को बड़ा नुकसान पहुंचाया था. इनके कारण ही नारायण सिंह कुशवाहा 2018 का विधानसभा चुनाव मात्र 121 वोटों के अंतर से हार गए थे. लेकिन बीजेपी में इनकी फिर से वापसी हो गई है और ये एक बार फिर से बीजेपी से इसी सीट पर टिकट मांग रही हैं. जिसे लेकर नारायण सिंह कुशवाहा ने पार्टी को स्पष्ट चेतावनी दे रखी है कि यदि समीक्षा गुप्ता को टिकट दिया तो वे पार्टी के साथ खड़े नहीं होंगे.
कुशवाहा, एससी, मुसलमान, ब्राह्मण और वैश्य हैं यहां के निर्णायक वोटर
बीजेपी की परेशानी इसलिए भी बड़ी हो जाती है, क्योंकि ग्वालियर दक्षिण विधानसभा में जो निर्णायक वोटर हैं, उनमें पहले नंबर पर कुशवाहा जाति के वोटर हैं. इनकी कुल वोटिंग यहां पर 50 हजार है. दूसरे नंबर पर एससी वर्ग के वोटर हैं, जिनकी संख्या यहां पर 25 हजार है. 20 हजार मुसलमान वोटर, 12 हजार ब्राह्मण वोटर और 15-15 हजार वोटर वैश्य व बघेल समाज से आते हैं. इस सीट पर कुल वोटिंग लगभग 2 लाख 49 हजार की है
यही वजह है कि बीजेपी ने 2003 से लेकर अब तक इस सीट पर कुशवाहा समाज के उम्मीदवार को प्राथमिकता दी. अभी तक नारायण सिंह कुशवाहा ही इस समाज के प्रमुख नेता थे तो बीजेपी इनको टिकट देती थी लेकिन लगातार पार्टी को लेकर जिस तरह के विचार नारायण सिंह कुशवाहा द्वारा रखे गए हैं, उसने पार्टी के लिए कई तरह की परेशानियां खड़ी कर दी हैं.
बड़े-बड़े मठाधीशों से परेशान पार्टी को है नए चेहरों की तलाश
बीजेपी के सूत्र बता रहे हैं कि इतने बड़े-बड़े मठाधीशों से पार्टी परेशान है. पार्टी को डर है कि किसी एक को भी टिकट देते हैं तो दूसरा नाराज होकर पार्टी के खिलाफ बगावत कर सकता है. ऐसे में पार्टी इस परेशानी का तोड़ तलाश रही है. इसके लिए पार्टी ने नए चेहरों को तलाशना भी शुरू कर दिया है.
इसमें जनसंघ के पुराने नेता रहे और पूर्व डिप्टी मेयर स्व. भीकम सिंह कुशवाहा के बेटे धर्मेंद्र सिंह कुशवाहा, ग्वालियर सांसद विवेक नारायण शेजवलकर के बेटे प्रांशु शेजवलकर, पूर्व पार्षद सतीश बोहरे सहित कई अन्य युवा चेहरे हैं, जिन पर पार्टी इस बार दांव लगा सकती है. धर्मेंद्र सिंह कुशवाहा लंबे समय से संगठन में सक्रिय हैं तो प्रांशु को उनके पिता की विरासत और आरएसएस से करीबी होने का फायदा मिल सकता है तो वहीं सतीश बोहरे लंबे समय से इसी क्षेत्र में पार्षद हैं. अब देखना होगा कि पार्टी क्या पुराने दिग्गज नेताओं पर ही एक बार फिर से यकीन दिखाएगी या फिर किसी नए चेहरे पर दांव लगाएगी.
ये भी पढ़ें– कमलनाथ को टाटा बोलकर पूर्व विधायक पति-पत्नी ने की BJP में ‘घर वापसी’, जानें इनके बारे में सब कुछ
ADVERTISEMENT