Shivraj Singh on Emergency: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इमरजेंसी के दिनों को याद करते हुए अपनी यादों को साझा किया. एक कार्यक्रम में वे बोले कि वे उन दिनों 17 साल के थे और उनको इतने डंडे पड़े थे कि आज भी उनके शरीर के जोड़ों में बारिश के मौसम में दर्द उठने लगता है.
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शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि मेरी परीक्षा थी ग्यारहवीं कक्षा की, मैं भोपाल में पढ़ता था. एक बार मैं पढ़ रहा था, तो 11 बजे रात में पुलिस वाले आए. वो बोले कि तू इंदिरा गांधी के खिलाफ आंदोलन चलाएगा? मैंने कहा कि आंदोलन मैं कहाँ चलाऊँगा. एक हेड कॉन्स्टेबल ने तलाशी ली तो सामग्री निकली. मुझे चार तमाचे पड़े और मुझे हबीबगंज थाने में बंद कर दिया गया.
मेरे घुटनों और कोहनी के जोड़ों में इतने डंडे मारे कि आज भी बादलों के समय में वो दुखते हैं. मुझे रात भर जगा के रखा गया. दूसरे दिन छुट्टी थी तो न्यायाधीश के घर ले गए, उसके बाद मुझे पैदल ले जाने लगे. तांगा निकल रहा था, उसमें सवार लोग मुझे चोर समझने लगे तो मैंने नारा लगाया कि जुल्म के आगे नहीं झुकेंगे, जुल्म किया तो और लड़ेंगे.
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शिवराज ने बताया कि इमरजेंसी में कैसा था उनका जीवन
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि बैरक में हम रहते थे, एक साथी बीमार हुए, अस्पताल नहीं ले जाया गया और उनकी मौत जेल में हो गई. एक प्रभुदयाल ढोलकिया को पकड़ना था, तो किसी और प्रभुदयाल को ले आए. कुछ दिन बाद एक और प्रभुदयाल को ले आए, कोई सुनवाई नहीं, कोई वकील नहीं!. नसबंदी के टारगेट तय थे कि इतने केस तुमको करना ही है. अतिक्रमण के नाम पर कई भवन मलबे में तब्दील कर दिए. परिवार के परिवार तबाह हो गए. असली लड़ाई संघ ने ही आपातकाल के खिलाफ लड़ी.
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