MP News: मंडला में कलेक्टर के बदलने के साथ ही जनसुनवाई का अंदाज भी बदल गया है. जनसुनवाई का नया अंदाज लोगों को काफी भा रहा है. इस नए अंदाज में हो रही जनसुनवाई से आवेदक कुछ देर के लिए अपनी तकलीफ भूल जाते हैं और उन्हें लगने लगता है कि शायद अब जल्द ही उनकी समस्या का निराकरण होगा. कलेक्टर के इस बदलाव की हर कोई तारीफ कर रहा है.
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दरअसल नवागत कलेक्टर डॉक्टर सलोनी सिडाना ने जब से जिले की बागडोर संभाली है, तब से उन्होंने जनसुनवाई का अंदाज बदल दिया है. अब जनसुनवाई में आने वाले फरियादी कलेक्टर के सामने खड़े होकर अपनी समस्या नहीं सुनाते बल्कि कलेक्टर के बगल में कुर्सी में बैठकर वह अपनी समस्या सुनाते हैं.
ऐसा नहीं है कि अपनी समस्या लेकर पहुंच रहे लोगों को केवल कलेक्टर ही अपने पास कुर्सी में बैठाकर इत्मीनान से उनकी समस्या सुन रही हैं, बल्कि जनसुनवाई में डाइस पर बैठने वाले तमाम आला अधिकारी जैसे सीईओ जिला पंचायत, एडीएम, एसडीएम सहित सभी अधिकारी के बगल में एक खाली कुर्सी लगी होती है जिसमें वह आवेदन लेकर आए व्यक्ति को बैठाते हैं और उनकी समस्या सुनते हैं.
अनोखी पहल से बढ़ा लोगों का विश्वास
इतना ही नहीं मौके पर ही संबंधित विभाग के अधिकारी को बुला कर उसके बारे में जानकारी हासिल करते हैं. समस्या का निराकरण का निर्देश देते हैं. कलेक्टर की अनोखी पहल से जनसुनवाई में लोगों का भरोसा बढ़ रहा है और लोग बड़ी संख्या में जनसुनवाई में पहुंच रहे हैं. कुर्सी में कलेक्टर के बगल में बैठ कर अपनी समस्या सुनाने का उन्हें एक अच्छा अनुभव मिल रहा है और उन्हें यह उम्मीद भी जाग रही है कि जिस आत्मीयता से कलेक्टर उन्हें बिठाकर उनकी समस्या पूछ रही हैं.
इससे जल्द ही उनकी समस्या का निराकरण भी होगा. वही इस विषय में कलेक्टर का कहना है कि इतनी गर्मी में लोग आ रहे हैं तो मानवता के नाते उनको बिठाकर उनकी समस्या पूछनी चाहिए.
कलेक्टर ने कहा- बेसिक रिस्पेक्ट और इज्जत सब डिजर्व करते हैं…
कलेक्टर डॉ. सलोनी सिडाना ने बताया- यह मेरे दिमाग की पहल नहीं है. जबलपुर में भी हमारे कलेक्टर साहब ऐसे ही जनसुनवाई करते थे. हमको लगता है कि जो भी व्यक्ति आ रहा है, उसको इतना बेसिक रिस्पेक्ट और इज्जत सब डिज़र्व करते हैं कि हम बैठकर इत्मीनान से उनकी बात सुने और गर्मी का मौसम है. गर्मी में लोग दूर-दूर से आते हैं और बाहर अगर वो खड़े रहते हैं तो उनको परेशानी होती है. उनको पंखे में अंदर अच्छे से उठाना, यह बहुत ही बेसिक ह्यूमन रिक्वायरमेंट है और हमने जैसा देखा वैसा ही कर रहे हैं.
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