श्रीरामचरित मानस विवाद: इंदौर में करणी सेना ने सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का पुतला फूंका

Indore News: इंदौर में करणी सेना द्वारा लगातार साम्प्रदायिक बयानबाजी करने वाले नेताओं के खिलाफ आवाज बुलंद की जा रही है. उत्तर प्रदेश के सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा श्रीरामचरित मानस पर प्रतिबंध लगाने के बयान के विरोध में पुतला दहन किया है. यूपी में स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों […]

Ram charit manas, Swami Prasad Maurya

Ram charit manas, Swami Prasad Maurya

follow google news

Indore News: इंदौर में करणी सेना द्वारा लगातार साम्प्रदायिक बयानबाजी करने वाले नेताओं के खिलाफ आवाज बुलंद की जा रही है. उत्तर प्रदेश के सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा श्रीरामचरित मानस पर प्रतिबंध लगाने के बयान के विरोध में पुतला दहन किया है. यूपी में स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों की आंच मध्य प्रदेश तक पहुंच गई है.

करणी सेना के पदाधिकारियों ने कहा कि श्रीराम और श्रीरामचरित मानस को लेकर राजनीति खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है. किसी भी तरह से राजनीतिक पार्टियां इसे मुद्दा बनाकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रही हैं. करणी सेना भारतीय ने इसी का विराेध करते हुए सपा नेता मौर्य का विरोध करते हुए इंदौर के रीगल चौराहे पर पुतला दहन किया.

सीएम शिवराज ने गाली देने वालों को किया माफ, बोले- उनसे कोई गिला-शिकवा नहीं

करणी सेना ने इसके साथ ही मांग की है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को कार्रवाई करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य को पार्टी से निकालना चाहिए था. उसके बजाए उन्हें पार्टी में और बड़ा पद दे दिया. करणी सेना ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदिनाथ से निवेदन किया है कि ऐसे व्यक्ति जो कि सनातन धर्म को लेकर विवादित और आपत्तिजनक बयान दे रहे हैं, उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें.

सीएम शिवराज को गाालियां देना पड़ा भारी, अब करणी सेना के खिलाफ हो रहा विरोध

‘तुलसी दास ने अपनी खुशी के लिए लिखा था मानस’
बता दें कि रामचरितमानस पर बिहार के मंत्री की आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में एक मीडिया संवाद के दौरान श्रीरामचरित मानस पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई थी. समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, “रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है. तुलसीदास ने ग्रंथ को अपनी खुशी के लिए लिखा था. करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते। इस ग्रंथ को बकवास बताते हुए कहा कि सरकार को इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए.”

    follow google newsfollow whatsapp