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DSP Santosh Patel: बचपन में तेंदूपत्ता तोड़ने वाले संतोष पटेल आज हैं DSP, कैसे बने जीरो से हीरो?

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DSP Santosh Patel Success Story: डीएसपी संतोष पटेल अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. वे कभी लोगों की मदद करते हुए नजर आते हैं तो कभी किसी को मोटिवेट करते हुए नजर आते हैं. आज संतोष पटेल किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं, लेकिन उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा है. डीएसपी संतोष पटेल का जीवन बहुत गरीबी में गुजरा. उन्होंने तेंदूपत्ता संग्रहण और पत्थर तोड़ने का काम भी किया. संतोष पटेल की संघर्ष की कहानी हर किसी को भावुक कर देगी.  

संतोष पटेल का जीवन बेहद गरीबी में गुजरा है. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल से की है. डीएसपी संतोष पटेल की मां खेतों में काम करती हैं. वे अपनी सफलता में मां का सबसे बड़ा हाथ मानते हैं.

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पढ़ाई के साथ किया मार्केटिंग का काम

12वीं के बाद संतोष पटेल ने आईआईटी की तैयारी की, लेकिन असफल हुए. इसके बाद उन्होंने शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज भोपाल से सिविल इंजीनियरिंग का कोर्स किया. इंजीनियरिंग के दौरान संतोष नेटवर्क मार्केटिंग कम्पनी के सदस्य बने और उसके लिए काम किया. डीएसपी संतोष पटेल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे. घरवालों को उम्मीद थी कि चार साल की पढ़ाई के बाद बेटा इंजीनियर बनेगा और कुछ करेगा. लेकिन उनका मन कविता पाठ में लग गया. 

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दाढ़ी और लाल बत्ती वाली गाड़ी का संकल्प

इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद संतोष ने एमटेक में एडमिशन ले लिया. पढ़ाई के बाद उन्हें घरवालों ने वापस गांव बुला लिया था. 03 अगस्त 2015 को संतोष ने कसम खाई कि जब तक लाल बत्ती वाली नौकरी नहीं मिलेगी, मैं अपनी दाढ़ी नहीं बनाऊंगा. गांव वालों ने संतोष का मजाक बनाया, लेकिन संतोष ने अपने कठोर परिश्रम के दम पर पीएससी क्लीयर किया और संकल्प को पूरा करके ही दम लिया. 

दूसरे प्रयास में हुए सफल

संतोष पटेल ने PSC क्लीयर करने की ठानी और कठिन परिश्रम करने में जुट गए. उन्हें पहले प्रयास में असफलता मिली, लेकिन दूसरे प्रयास में संतोष सफल हो गए. उनका चयन मध्यप्रदेश शासन के ग्रह विभाग में उप पुलिस अधीक्षक के पद पर हो गया. आज डीएसपी संतोष पटेल मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देशभर में चर्चित हैं. 

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