'पूरा देश ही क्यों नहीं ले लेते..?' हाईकोर्ट के जज अहलूवालिया ने वक्फ बोर्ड को लगाई फटकार

धीरज शाह

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जबलपुर हाईकोर्ट ने वक्फ बोर्ड को जमकर खरी-खोटी सुनाई है.
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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हाईकोर्ट के जज जीएस अहलूवालिया ने वक्फ बोर्ड को लेकर तल्ख टिप्पणी की है

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क्या ताजमहल, लाल किला जैसी इमारतों को भी वक्फ की संपत्ति घोषित कर देना चाहिए

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कोर्ट ने बुरहानपुर में स्थित तीन इमारतों को वक्फ संपत्ति मानने से इनकार कर दिया

MP High Court News: मुगल बादशाह शाहजहां की बहू के मकबरे समेत तीन ऐतिहासिक इमारतों पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है. एमपी हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने वक्फ बोर्ड की मनमानियों को देखते हुए यह तल्ख टिप्पणी की है. उन्होंने कहा- जिस तरह से देश की प्राचीन संपत्तियों को वक्फ बोर्ड अपने अधीन कर रहा है. उसको देखते हुए ताजमहल और लाल किले को भी वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित कर दी जाए. 

एमपी हाईकोर्ट के जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने यह टिप्पणी उस याचिका पर की जिसमें आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया यानी ASI ने बुरहानपुर की तीन इमारतों को वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित किए जाने के खिलाफ चुनौती दी थी. कोर्ट की इस टिप्पणी के दौरान मौजूद ASI के वकील कौशलेंद्र नाथ पेठिया ने कहा है कि कोर्ट की यह टिप्पणी उस ढर्रे के खिलाफ है जिस पर वक्फ का काम चल रहा है.

कोर्ट ने बुरहानपुर में स्थित मुगल बादशाह शाहजहां की बहू बीबी साहिब और नादिरशाह के मकबरे को वक्फ बोर्ड की संपत्ति मानने से इनकार कर दिया. उन्होंने आगे कहा कि जो इमारतें देश की धरोहर की श्रेणी में आती हैं, वे केंद्र सरकार के संस्कृति विभाग के अधीन होती हैं.

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कोर्ट ने कहा- संपत्ति को धार्मिक संपत्ति घोषित करने का चलन बढ़ा

इस टिप्पणी को सुनकर कानून के दुरुपयोग का एहसास हुआ था, किसी भी संपत्ति को धार्मिक संपत्ति घोषित करने का चलन बढ़ गया थी और व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए पुरानी संपत्तियों को वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित करने की प्रवृत्ति बढ़ गई थी. 

दरअसल ASI ने बुरहानपुर की शाह शुजा स्मारक, नादिर शाह का मकबरा और किले में स्थित बीवी साहिब की मस्जिद को वक्फ बोर्ड ने अपनी संपत्ति मानने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया था. जबकि 26 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने बोर्ड को झटका देते हुए तीनों ही इमारतों को वक्फ बोर्ड की संपत्ति मानने से इनकार कर दिया. याचिका में आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया ने दलील दी की प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत यह प्राचीन और संरक्षित इमारत हैं. अधिनियम 1904 के तहत वक्फ बोर्ड इन्हें अपनी संपत्ति घोषित नहीं कर सकता. 

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वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित करने में नियमों का गलत उपयोग

इस मामले में हाईकोर्ट में ASI की ओर से हाजिर हुए वकील कौशलेंद्र नाथ पेठिया ने अदालत के फैसले के बाद कहा है वक्फ बोर्ड की अधिकांश संपत्तियां भूमाफियाओं के हाथों में हैं. बोर्ड की संपत्तियों का फायदा जिन्हें मिलना चाहिए उन्हें नहीं मिल रहा. उन्होंने कहा है कि रेलवे और सेना के बाद वक्फ बोर्ड के पास ही सबसे ज्यादा संपत्तियां हैं. दावा किया जा रहा है कि बोर्ड के पास 7 लाख एकड़ जमीन है. उन्होंने कहा है कि वक्फ बोर्ड का मकसद समाज की भलाई नहीं है. नियमों का गलत उपयोग कर किसी भी संपत्ति को वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित किया जा रहा है. 

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व्यक्तिगत हितों के चलते वक्फ बोर्ड से मनमाने फैसले कराए जाने का भी उन्होंने आरोप लगाया है. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में वक्फ बोर्ड के फैसलों के खिलाफ पैरवी करने वाले अधिवक्ता कौशलेंद्र नाथ पेठिया का कहना है कि संसद में पेश होने वाले वक्फ बोर्ड संशोधन बिल की मंशा से लगता है कि सरकार बोर्ड की मनमानियां से जूझ रही है.

देखिए ये खास वीडियो रिपोर्ट...

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