दिग्विजय ने डाला बुंदेलखंड में डेरा, इस बड़े नेता की ‘घर वापसी’ की कोशिश, मुलाकात के बाद चर्चाएं शुरू

अमन तिवारी

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Digvijay Singh camped in Bundelkhand, efforts are being made to 'return home' of this big leader, discussions started after the meeting
Digvijay Singh camped in Bundelkhand, efforts are being made to 'return home' of this big leader, discussions started after the meeting
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MP Election 2023: साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसके लिए मध्यप्रदेश की दोनों ही मुख्य पार्टी अभी से तैयारियों में लगी हुई हैं. बीजेपी की तरफ से कमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संभाल रखी है. तो वहीं कांग्रेस की तरफ से कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों ही पार्टी के अंदर की गुटबाजी को खत्म कर नए-पुराने सभी कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की कोशिशों में लगे हैं. इसके लिए हाल के दिनों में दिग्विजय सिंह सबसे ज्यादा एक्टिव नजर आ रहे हैं. ग्वालियर-चंबल दौरे के बाद अब दिग्विजय सिंह फिलहाल बुंदेलखंड में अपना डेरा डाले हुये हैं. वे हर रोज पार्टी कार्यकर्ताओं और पुराने कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर रहे हैं.

कल यानि कि शुक्रवार 02 जून को महाराजा छत्रसाल का गौरव दिवस मनाया गया. इस आयोजन के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान छतरपुर पहुंचे थे. जहां उन्होंने पिछले चुनाव में आए परिणाम को ध्यान में रखते हुये छतरपुर नगरपालिका को नगर निगम और जल्द ही मेडीकल कॉलेज का निर्माण कार्य शुरू करने की घोषणा की है. तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह अचानक पूर्व राज्यसभा सांसद सत्यव्रत चुर्तुवेदी से मुलाकात के लिए पहुंचे. इस मुलाकात के बाद बुंदेलखंड की राजनीतिक गलियारों में अलग से चर्चा हो रही है.

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दिग्विजय सिंह सत्यव्रत चतुर्वेदी की मुलाकात के मायने
साल 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान छतरपुर जिले की राजनगर सीट से सत्यव्रत चतुर्वेदी के पुत्र नितिन चतुर्वेदी समाजवादी पार्टी (एसपी) के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था. उस समय बेटे के लिए टिकट मांग रहे सत्यव्रत ने पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप भी लगाए थे. उन्होंने साफ कहा था कि वह अपने बेटे के लिए प्रचार करेंगे. कांग्रेस के नेताओं ने उन्हें मनाने की बहुत कोशिश की थी लेकिन वह नहीं माने, खुद पार्टी के वरिष्ठ नेता और एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने उनके इस फैसले पर दुख जताया था.

सत्यव्रत चतुर्वेदी कांग्रेस के वरिष्ठतम नेताओं में से एक हैं. वह प्रदेश सरकार में मंत्री रहे हैं. इसके साथ ही सत्यव्रत लोकसभा के सदस्य भी रह चुके हैं. वह 10 साल तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे हैं. इसके अलावा वह संसद की कई कमिटी के सदस्य रह चुके हैं. सत्यव्रत की बगावत कांग्रेस के लिए आने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए सिरदर्द साबित न हो इसके लिए अभी से उनकी वापसी की तैयारियां की जा रही हैं. सूत्रों की माने तो दिग्विजय सिंह की ये मुलाकात उनकी पार्टी में वापसी कराने के लिए की गई थी.

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Digvijay Singh camped in Bundelkhand, efforts are being made to 'return home' of this big leader, discussions started after the meeting
फोटो: एमपी तक

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बुंदेलखंड की चुनावी जिम्मेदारी दिग्विजय सिंह के हाथ
6 महीने से भी कम समय अब मप्र में विधानसभा चुनाव को लेकर बचा है. जिसके पहले कांग्रेस का फोकस 2018 में अपेक्षाकृत कम सफलता वाले बुंदेलखंड पर ही नजर आ रहा है. 26 विधानसभा सीटों वाले बुंदेलखंड की प्रमुख समस्याओं को समझने और जनता के बीच पहुंचने की जिम्मेदारी पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को सौंपी गई है. जिसको लेकर दिग्विजय सिंह हाल ही में छतरपुर जिले के दौरे पर हैं. जहां वे ब्लॉक स्तर पर बैठक कर चुनावी रणनीति तैयार कर रहे हैं. अब आने वाले चुनाव में देखना होगा की अगर सत्यव्रत चतुर्वेदी की वापसी होती है तो वे क्या फिर से अपने बेटे के लिए टिकिट की मांग करते हैं? अगर करते हैं तो मौजूदा विधायक नातीराज का टिकट काटकर चतुर्वेदी झोली में डाला जाएगा.

पिछले विधानसभा चुनाव में छतरपुर जिले का हाल
2018 के विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड में कांग्रेस के प्रदर्शन में सुधार हुआ था. छतरपुर में देखने को मिला, जहां 2018 में कांग्रेस ने 6 में से 4 सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन बड़ा मलहरा विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी की बगावत के बाद बड़ा मलहरा में उपचुनाव हुए और ये सीट भाजपा के खाते में चली गई. मौजूदा समय में छतरपुर जिले में कांग्रेस की हालात ठीक नहीं है. 6 महीने से भी कम समय अब मप्र में विधानसभा चुनाव को लेकर बचा है. जिसके पहले कांग्रेस का फोकस 2018 में अपेक्षाकृत कम सफलता वाले बुंदेलखंड पर ही नजर आ रहा है. जिसमें छतरपुर, सागर और दमोह जिले पर कांग्रेस का फोकस नजर आ रहा है.

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