MP Election: मध्य प्रदेश में बिखर गया इंडिया एलाइंस, 92 सीटों पर कांग्रेस के लिए मुसीबत

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MP Election 2023: भाजपा सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा बनाया गया INDIA गठबंधन मध्य प्रदेश में कांग्रेस (Congress) के लिए मुसीबत बन चुका है. भाजपा (BJP) को मात देने के लिए बनाए गए इंडिया अलाइंस (INDIA Alliance) के दल मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में आमने-सामने हैं. दरअसल सपा, आम आदमी पार्टी और जेडीयू मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों (Madhya Pradesh Vidhansabha Chunav) में भी साथ उतरने की तैयारी में थे, लेकिन सभी ने अपने अलग-अलग प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया है. तकरीबन 92 सीट पर कांग्रेस का मुकाबला bjp के साथ ही अपने इन इंडिया एलायंस के साथियों से भी होगा. माना जा रहा है कि इससे सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हो सकता है.

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा और कांग्रेस के अलावा, आम आदमी पार्टी, जेडीयू, सपा, बसपा जैसे कई दल पूरे दमखम के साथ उतर रहे हैं. लेकिन कांग्रेस के लिए इंडिया एलायंस के साथी मुश्किल खड़ी कर रहे हैं. प्रदेश की 230 में से 92 सीटों पर ये दल सीधा असर डालेंगे. इनमें से 9 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस बहुत कम अंतर से जीती थी, वहीं 6 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस बहुत कम अंतर से हारी थी. इन सीटों पर कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ सकता है.

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कांग्रेस को साथी पहुंचा रहे नुकसान

चंदला, नागौद, मैहर, सिंगरौली, इंदौर-5 और जबेरा ये ऐसी सीटें हैं, जहां 2018 के विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस बहुत कम अंतर से हारी थी. यानी कि इन विधानसभा सीटों पर कांग्रेस हार के बावजूद भी अच्छी स्थिति में थी. लेकिन इस बार इन सीटों पर जेडीयू, सपा और आम आदमी पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं. INIDA गठबंधन वाले इन दलों की सक्रियता इन सीटों पर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकती है. सपा, जेडीयू और आप के उम्मीदवारों की वजह से कांग्रेस को नुकसान झेलना पड़ सकता है.

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इन सीटों पर कम मार्जिन से जीती थी

2018 के विधानसभा चुनावों में ग्वालियर साउथ, पिछोर, पृथ्वीपुर, राजनगर, छतरपुर, दमोह, गुन्नौर और जबलपुर उत्तर सीट पर कांग्रेस बहुत कम मार्जिन से जीती थी. यानी कि कांग्रेस की कोई खास मजबूत स्थिति नहीं थी. कांग्रेस इन सीटों को खोना नहीं चाहती है, लेकिन सपा, आप और जेडीयू ने यहां अपने उम्मीदवार उतारकर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. ये दल सियासी समीकरण बदल सकते हैं.

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