SDM निशा बांगरे को सरकार के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा झटका! अब कहां जाएंगी?

एमपी तक

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After the government, the Supreme Court gave a big blow to SDM Nisha Bangre! Where will she go now?
After the government, the Supreme Court gave a big blow to SDM Nisha Bangre! Where will she go now?
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MP Election 2023: मध्यप्रदेश में चुनाव लड़ने के लिए डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन इस्तीफे के 3 महीने बाद भी उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है. अपना इस्तीफा स्वीकार कराने के लिए उन्होंने न्याय यात्रा भी निकाली थी. जिसके बाद उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. अब इस मामले में निशा बांगरे को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है.  सुप्रीम कोर्ट ने निशा को उल्टे पैर लौटा दिया है.

डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे मामले पर जल्द सुनवाई के लिए याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.  डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तंखा और उनके पुत्र वरुण तंखा ने पैरवी की गई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने निशा बांगरे की विशेष अनुमति की याचिका को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने निशा बांगरे को हाई कोर्ट जाने के निर्देश दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा ” हाई कोर्ट के आदेश का इंतजार करें, बीच में ही सुप्रीम कोर्ट आने की जरूरत नहीं है”

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चुनाव लड़ने के लिए दिया सरकारी नौकरी से इस्तीफा

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने निशा बांगरे के मामले में कहा कि “हमें उम्मीद है कि हाईकोर्ट शीघ्र निर्णय सुनाएगा. पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने जब सुनवाई कर आदेश रिजर्व कर रखा है, तो हमें इसमें दखल देने की जरूरत नहीं है. बताया जा रहा है कि प्रशासनिक सेवा छोड़कर समाजसेवा करने के लिए राजनीति में जाकर चुनाव लड़ने की मंशा निशा की है.

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निशा को डर कि कहीं फॉर्म भरने की डेट न निकल जाए

आपको बता दें निशा ने 22 जून 2023 को अपने वरिष्ठ पदाधिकारी प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर अपने घर के गृह प्रवेश समारोह में शामिल हेाने के लिए छुटटी न मिलने का आरोप लगाते इस्तीफा दे दिया था. लेकिन सरकार ने कई अड़चनें लगाकर उसे मंजूर नहीं किया.

निशा ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वहां सुनवाई पूरी होकर फैसला सुरक्षित है. इधर विधान सभा चुनाव ही लिए 21 से 30 अक्तूबर के बीच नामजदगी के पर्चे भरे जाने हैं. समय कम है और फ़ैसला ना आने से निशा को चिंता सता रही है कि वे चुनाव लड़ भी नहीं पाएंगी या नहीं, इसी हड़बड़ाहट में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

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