MP की एक सीट ऐसी भी, जहां कुर्सी के लिए चाचा-भतीजे के बीच कांटे की लड़ाई, जानें पूरा गणित

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MP Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों की तैयारियों को देखते हुये अब लगभग सभी दल अपनी पहली तो कई अपनी चौथी सूचियां तक जारी कर चुके हैं. किसी का टिकट का इंतजार खत्म हो गया तो किसी को अभी भी टिकट मिलने की आस लगी हुई है. नर्मदापुरम अंचल का हरदा जिला राजनीति के लिहाज से काफी अहम माना जाता है. लेकिन यहां पर सबसे ज्यादा चर्चा टिमरनी विधानसभा सीट की हो रही है, जहां पर चाचा-भतीजे की जोड़ी की चुनाव मैदान में एक बार फिर हो सकती है.

हम बात कर रहे हैं बीजेपी नेता संजय शाह और उनके भतीजे अभिजीत शाह की. इन दोनों की जोड़ी बीजेपी और कांग्रेस से एक-दूसरे के मुकाबले में चुनाव मैदान में ताल ठोंक रही है. वर्तमान में टिमरनी में चाचा संजय शाह का कब्जा है तो कांग्रेस पार्टी से भतीजा उस पर कब्जा जमाने की जुगत ढूंढ रहा है. दरअसल हरदा जिले की टिमरनी सीट पर लंबे समय से भाजपा का ही कब्जा रहा है. लेकिन पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान यहां भाजपा के माथे पर चिंता की लकीरे खिंच गई थी.

जब यहां से मौजूदा विधायक संजय शाह अपने ही भतीजे से महज 2213 वोट के मामूली अंतर से चुनाव जीत पाए थे. तभी से कांग्रेस की नजर इस सीट पर बनी हुई है.

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2003 में बीजेपी ने तोड़ा कांग्रेस का गढ़

1990 के बाद यहां पर कांग्रेस एक ही बार चुनाव जीती है. 2003 के चुनाव में बीजेपी ने इस सीट पर एक बार फिर से वापसी की, हालांकि 2008 में बीजेपी को फिर हार का सामना करना पड़ा. उस समय संजय शाह जो मौजूदा विधायक भी है, ने बीजेपी से टिकट मांगी थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय ही चुनाव लड़ गए और जीत हासिल की. फिर 2013 में चुनाव से पहले बीजेपी ने संजय शाह को टिकट दिया और शानदार जीत दिलाई. शाह ने जीत का सिलसिला 2018 में भी जारी रखा. शाह यहां पर चुनावी जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं. लेकिन हैट्रिक लगाने के बाद भी इस सीट पर बीजेपी की चिंता पिछले परिणाम को देखते हुये बढ़ती जा रही है.

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क्या है टिमरनी की मौजूदा स्थिति ?

टिमरनी से कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है. कांग्रेस की तरफ से मौजूदा विधायक संजय शाह के भतीजे अभिजीत शाह को एक बार फिर चुनावी मैदान में उतारा है, अभिजीत शाह पिछले चुनाव के दौरान भी कांग्रेस के प्रत्याशी थे. अब देखना ये होगा कि अभिजीत चाचा को हराने में इस बार कामयाब हो पाते हैं या फिर नहीं! आपको बता दें भारतीय जनता पार्टी ने अभी तक यहां से अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है. ऐसा माना जा रहा है कि सीट पर पार्टी मंथन के बाद ही नाम डिसाइड किया जाएगा.

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फिलहाल अगर प्रमुख दावेदारों की बात करे तो पूर्व बीजेपी प्रत्याशी और वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष गजेंद्र शाह(पूर्व प्रत्याशी के पति) टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. आपको बता दें गजेंद्र शाह की पत्नी 2008 में चुनाव लड़ चुकी है, लेकिन उस समय निर्दलीय संजय शाह ने उन्हें हरा दिया था. अब देखना ये होगा कि बीजेपी किसे अपना प्रत्याशी बनाती है, और क्या इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी चाचा की कुर्सी हथियाने में कितना सफल हो पाता है.

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