MP Election 2023: दतिया में चौथी बार नरोत्तम और राजेंद्र आमने-सामने, गृहमंत्री के लिए अवधेश कितनी बड़ी चुनौती?
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MP Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए आज से महज 4 दिन का ही समय बचा हुआ है. ऐसे में तमाम राजनीतिक दल तैयारियों में जुटे हुए हैं. इस समय प्रदेश की सबसे हाई प्रोफाइल सीट दतिया में राजनीतिक सरगर्मी काफी तेज है. दतिया में प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का चौथी बार राजेंद्र भारती से मुकाबला हो रहा है. ये मुकाबला इस बार इसलिए खास माना जा रहा है कि क्योंकि चुनाव से ऐन वक्त पहले मिश्रा के समर्थक अवधेश नायक ने बीजेपी को अलविदा कहकर कांग्रेस का दामन थाम लिया था. जिसके कारण यहां गृहमंत्री की मुश्किलें बड़ी नजर आ रही हैं.
नरोत्तम मिश्रा को लेकर दतिया में कभी चुनाव आसान नहीं रहा है. जमीनी स्तर पर उनको लेकर तरह-तरह की बातें करते हैं. कांग्रेस के राजेंद्र भारती सामने हैं. लेकिन नरोत्तम मिश्रा कैसे भी करके चुनाव निकाल लेते हैं. वो मुख्य रूप से जुगाड़ से जीतते रहे हैं, लेकिन यदि बीजेपी के खिलाफ हवा जरा जोर से चली तो वे यहां चुनाव हार भी सकते हैं. नरोत्तम मिश्रा ने खुद को सीएम की रेस में दिखाकर जल्दबाजी की थी, जिसका उनको राजनीतिक नुकसान भी हुआ. यही कारण है कि नरोत्तम मिश्रा खुद क्षेत्र में खासे नजर आ रहे हैं.
गृहमंत्री को मिल रही कड़ी टक्कर
मध्यप्रदेश सरकार के गृहमंत्री और अक्सर अपनी बयानबाजी के कारण सुर्खियों में रहते हैं. नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ कांग्रेस ने राजेन्द्र भारती को मैदान में उतारा है. इसके पहले यहां से कांग्रेस ने अवधेश नायक को अपना प्रत्याशी बनाया था. जिसे बाद में बदल दिया गया. अब राजेंद्र भारती और अवधेश नायक एक साथ चुनावी प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं. अवधेश नायक के कारण नरोत्तम मिश्रा की मुश्किलें बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं. यही कारण है कि यहां मंत्री नरोत्तम मिश्रा को कड़ी टक्कर मिल रही है.
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कैसा रहा राजनीतिक इतिहास
दतिया सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच एक ही प्रत्याशियों के बीच मुकाबला होता रहा है. पिछले तीन बार से कांग्रेस के राजेंद्र भारती, गृह मंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा से सीधा मुकाबला कर रहे हैं. हालांकि हर बार उन्हें हार ही मिली है. राजेंद्र भारती ने पहली बार गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ 2008 में चुनाव लड़ा. तब उन्होंने मायावती की पार्टी बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. जिसमें उन्हें 23,256 वोट मिले जबकि नरोत्तम मिश्रा ने 34,889 वोट हासिल कर बड़ी जीत हासिल की थी.
फिर 2013 में डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा ने 57,438 वोट हासिल कर राजेंद्र भारती (45,357) को हरा दिया. 2018 में भी यही कहानी दोहराई गई लेकिन इस बार मुकाबला बेहद कांटेदार रहा. नरोत्तम मिश्रा महज 2,600 मतों के अंतर से हार गए. इससे पहले 1990 में यह सीट बीजेपी के पास थी तो 1993 में यह कांग्रेस के पास आ गई. जबकि 1998 में यह सीट समाजवादी पार्टी के खाते में चली गई थी.
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