BJP से बागी होकर चुनाव लड़ रहे रसाल सिंह ने कर दिया बड़ा दावा, जानें लहार सीट पर हार-जीत का गणित

हेमंत शर्मा

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MP BJP, MP Election 2023, Lahar Assembly Seat, Rasal Singh, Dr. Govind Singh
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Lahar Assembly Seat: चंबल अंचल की लहार विधानसभा सीट को राजनीतिक पंडित हॉट सीट मानकर चल रहे हैं, क्योंकि इस सीट पर कांग्रेस की तरफ से उनके कद्दावर नेता डॉ. गोविंद सिंह एक बार फिर से चुनावी मैदान में हैं और बीजेपी ने उनके सामने अंबरीष शर्मा गुड्‌डू को उतारा है. लेकिन चर्चा एक तीसरे ही कैंडिडेट की हो रही है. नाम है रसाल सिंह. पुराने भाजपाई हैं और इन दिना बीजेपी से बगावत करके लहार सीट पर बसपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. रसाल सिंह ने यहां पर जीत-हार को लेकर बड़ा दावा किया है.

रसाल सिंह का कहना है कि जो लोग पहले कांग्रेस के लिए डंप(बूथ कैप्चर) किया करते थे वे अब हमारे साथ हैं. अब यही लोग बीएसपी के वोटरों का वोट डलवाने का काम करेंगे. रसाल सिंह के इस बयान ने इस बात को जग जाहिर कर दिया है की भिंड में चुनाव में बूथ कैप्चर होता हुआ आया है. रसाल सिंह ने यह बयान लहार विधानसभा के दबोह इलाके में मीडिया से चर्चा के दौरान दिया है.

इसके साथ ही रसाल सिंह ने इस बात का दावा भी किया है कि उमा भारती के बिना बीजेपी चुनाव नहीं जीत सकती है. इतना ही नहीं रसाल सिंह ने पिछले दो बार की विधानसभा चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी होने के बावजूद चुनाव हारने पर इस बात का दावा किया है कि भाजपा ने ही मिलकर उन्हें चुनाव हरवाया था.

रसाल सिंह ने कहा कि वे पिछले चुनाव में जब बीजेपी से उम्मीदवार बने तो सीएम शिवराज सिंह चौहान का कार्यक्रम भिंड जिले की पांच विधानसभा सीट पर होना था लेकिन सीएम शिवराज सिंह ने जिले की चार विधानसभा सीटों पर तो प्रचार किया पर वे लहार नहीं आए, जिसका मैसेज जनता और अधिकारियों के बीच यह गया कि सीएम शिवराज सिंह चौहान रसाल सिंह को चुनाव हरवाना चाहते हैं और यही वजह रही कि बीजेपी के लोगों ने ही उन्हें चुनाव हरवा दिया.

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कौन है रसाल सिंह, जो अक्सर रहते हैं चर्चा में

रसाल सिंह उमा भारती के कट्टर समर्थक रहे हैं. वे रौन विधानसभा सीट से चार बार विधायक भी रहे लेकिन साल 2008 में हुए परिसीमन में रौन विधानसभा सीट खत्म कर दी गई. इसके बाद भी साल 2013 और साल 2018 में बीजेपी के टिकट पर लहार विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि वे दोनों बार कांग्रेस प्रत्याशी डॉ गोविंद सिंह से हार गए थे.

साल 2008 के चुनाव में लहार विधानसभा सीट से बीजेपी की प्रत्याशी मुन्नी त्रिपाठी को महज 2900 वोट मिले थे लेकिन साल 2013 के चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी रहे रसाल सिंह को 50000 से ज्यादा वोट मिले.इस बार के विधानसभा चुनाव में रसाल सिंह को उम्मीद थी कि भाजपा उन्हें टिकट देगी लेकिन उनका टिकट काटकर अंबरीश शर्मा को दे दिया गया. इस बात से गुस्साए रसाल सिंह ने बीजेपी से बगावत कर दी और बीएसपी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर आए हैं.

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