शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष को दिया ऐसा जवाब कि सुनता रह गया सदन, मामा ने लूट ली महफिल!
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न्यूज़ हाइलाइट्स
शिवराज सिंह चौहान ने राज्यसभा में तत्कालीन UPA सरकार को घेरा
MSP को खारिज करने वाला यूपीए सरकार का कैबिनेट नोट पटल पर रखा
शिवराज ने कहा कि विपक्ष घड़ियाली आंसू बहा रहा है, पहले ये जान लें
Shivraj Singh Chouhan on MSP: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने MSP की कानूनी गारंटी के सवाल पर राज्यसभा में तगड़ा जवाब दिया है. शिवराज सिंह चौहान ने राज्यसभा में MSP गारंटी कानून लेकर विपक्ष के सवालों का दमदार ढंग से जवाब दिया. इस दौरान शिवराज सिंह चौहान काफी आक्रामक नजर आए. उन्होंने कहा कि विपक्ष घड़ियाली आंसू बहा रहा है.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा- मोदी सरकार ने किसानों को यूपीए सरकार से दोगुना एसएसपी दिया है, किसान हित में सरकार लगातार फैसले ले रही है. विपक्ष घड़ियाली आंसू बहा रहा है और किसान के नाम पर केवल राजनीति कर रहा है."
शिवराज ने जवाब देते हुए आगे कहा- "मनमोहन सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट की सिफारिशों को स्वीकार नहीं किया. तत्कालीन कृषि मंत्री पवार, भूरिया और थॉमस ने एमएसपी पर खरीद को खारिज करने के वक्तव्य सदन में कहे. किसानों की तुअर, मसूर, उड़द की पूरी उपज सरकार खरीदेगी. किसानों को एमएसपी उपलब्ध कराने, व्यवस्था को और प्रभावी बनाने और पारदर्शी बनाने पर सुझाव देने जैसे विशिष्ठ उद्देश्यों के लिए समिति का गठन हुआ है. उन्होंने कहा, एमएसपी की दरें किसान को ठीक दाम देने के लिए लगातार बढ़ाई गई हैं."
यूपीए सरकार ने स्वामीनाथन रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया
कृषि मंत्री ने कहा, "स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट में जब ये कहा गया कि, लागत पर 50% मुनाफा देकर समर्थन मूल्य घोषित करना चाहिए. तब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, उन्होंने साफ तौर पर कैबिनेट नोट में कहा कि, एमएसपी को उत्पादन की भारित औसत लागत से 50% अधिक तय करने की सिफारिश पर यूपीए की सरकार ने कैबिनेट में ये कहते हुए स्वीकार नहीं किया कि, सीएसीपी द्वारा प्रासंगिक कारकों की व्यवस्था पर विचार करते हुए एक वस्तुनिष्ठ मानदंड के रूप में एमएसपी की सिफारिश की गई है. इसलिए लागत पर कम से कम 50% की वृद्धि निर्धारित करना बाजार को विकृत कर सकता है."
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शिवराज ने रखा यूपीए सरकार का कैबिनेट नोट, हक्का-बक्का विपक्ष
कृषि मंत्री 28 जुलाई 2007 के कैबिनेट बैठक का नोट भी पटल पर रखा. उन्होंने कहा- "इन्होंने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश स्वीकार करने से इंकार कर दिया. तत्कालीन कृषि मंत्री कांतिलाल भूरिया जी ने अपने जवाब में कहा, स्वीकार नहीं किया जा सकता. सरकार में मंत्री शरद पवार जी ने भी अपने जवाब में कहा कि, सरकार सीएसीपी की सिफारिशों के आधार पर एमएसपी तय करती है और इसलिए पहचानने की अवशयकता है कि, उत्पादन लागत और एमएसपी के बीच कोई आंतरिक संबंध नहीं हो सकता और उन्होंने इंकार कर दिया. उसे स्वीकार नहीं किया. ये किसान के नाम पर केवल राजनीति करना चाहते हैं. ये देश को अराजकता में झोंकना चाहते हैं."
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देखिए शिवराज के सदन में जवाब का ये वीडियो
किसान कल्याण के लिए 6 सूत्रीय रणनीति
शिवराज सिंह चौहान ने सदन में जानकारी देते हुए बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में ये सरकार निरंतर किसानों के कल्याण के काम में जुटी हुई है. किसान को ठीक दाम देने के लिए सरकार की 6 सूत्रीय रणनीति है. चौहान ने गिनाते हुए बताया... किसानों को उचित दाम देने के लिए समिति की रिपोर्ट आएगी. तब हम कार्रवाई करेंगे, लेकिन तब तक हम चुप नहीं बैठे हैं, हमारी सरकार लगातार किसानों के हित में काम कर रही है.
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- यूपीए की सरकार में वर्ष 2013-14 तक बाजरा का समर्थन मूल्य 1250 था,
- मोदी जी की सरकार ने 2625 रूपये घोषित किया.
- मक्का के जो 1100 रुपये थे, हमने बढ़ाकर 1850 रुपये किए.
- रागी की एमएसपी 1310 रुपये थी, लेकिन हमने इसे 2225 रुपये किया.
- गेहूं के 1500 रुपये थे, हमने इसे बढ़ाकर 2275 रुपये किया.
- तुअर के 4300 रुपये थे लेकिन हमने इसे बढ़ाकर 7550 रुपये किए.
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विपक्ष घड़ियाली आंसू बहा रहा है: कृषि मंत्री
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा- एमएसपी पर खरीद अधिकतम हुई और इस साल भी तुअर, मसूर और उड़द, किसान जितनी भी पैदा करेगा, सरकार खरीदेगी. समृद्धि पोर्टल हमने बनाया है, किसान रजिस्ट्रेशन करवाए उसकी पूरी उपज सरकार खरीदेगी. आंकड़े गवाह हैं कि, जब यूपीए सरकार थी, तब खरीदी कितनी होती थी और जब हमारी सरकार है, तब कितनी खरीदी होती है. विपक्ष केवल घड़ियाली आंसू बहा रहा है.
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शिवराज ने सदन में रखे खरीदी के तुलनात्मक आंकड़े
- साल 2004-05 से 2013-14 के बीच केवल 45 करोड़ 90 लाख मीट्रिक टन खरीदी हुई.
- जबकि 2014-15 से लेकर 2023-24 के बीच 69 करोड़ 18 लाख मीट्रिक टन खरीदी हुई.
- गेहूं की खरीदी 2004-05 से 2013-14 के बीच 21 करोड़ मीट्रिक टन थी, जो अब बढ़कर 35 करोड़ 38 लाख मीट्रिक टन हो गई है.
- दलहन की खरीद 2004-05 से 2013-14 तक केवल 6 लाख मीट्रिक टन थी, जो अब बढ़कर 1 करोड़ 67 लाख मीट्रिक टन हो गई है.
- तिलहन की खरीद जब इनकी सरकार थी तब केवल 50 लाख मीट्रिक टन थी, जो बढ़कर 87 लाख मीट्रिक टन हो गई है.
- कपास की गांठ ये खरीदते थे केवल 26 लाख हमने बढ़ाकर 31.17 लाख कपास की गांठ खरीदी है.
- धान की एमएसपी से खरीद से लाभान्वित किसान केवल 78 लाख थे, जो अब बढ़कर 1 करोड़ 3 लाख 83 हजार 248 हो गए हैं.
- गेहूं की खरीद के लिए लाभान्वित किसान केवल 20 लाख थे, जो अब बढ़कर 22 लाख 69 हजार 264 हो गए हैं.
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